कुपोषित को गोद में लेकर छह किमी. पैदल चलकर पहुंचे अस्पताल
नरसिंहपुरPublished: Apr 03, 2020 08:00:22 pm
जिला अस्पताल में कुपोषण के कारण फॉलाअप कराने आ रहे थे पति-पत्नी, बेरहम पुलिस ने खड़ा करवा लिया दोपहिया वाहन, कहा- पैदल जाओ
श्रीगंगानगर में कोडा चौक से केन्द्रीय बस अड्डा व भगतसिंह चौक की ओर जाने वाले मार्गों पर लॉक डाउन के दौरान पसरा सन्नाटा। पत्रिका
नरसहपुर. टोटल लॉकडाउन के बीच कुपोषित बच्चों के इलाज में पुलिस की सख्ती भारी पड़ रही है। घरों से बच्चों को लेकर अस्पताल आने वाले लोगों को पुलिसकर्मी रोक देते हैं और अनुमति न होने पर वापस भेज देते हैं। ऐसी स्थिति में कुपोषित बच्चों के परिजनों को बच्चों की देखरेख संबंधी उचित सलाह नहीं मिल पा रही है और बच्चों का कुपोषण घटने की बजाय बढ़ता जा रहा है। ऐसा ही मामला गत दिवस सामने आया है। नयाखेड़ा ग्राम निवासी अनीश साहू पत्नी के साथ अपनी ११ माह की कुपोषण की शिकार बेटी को लेकर जिला अस्पताल पोषण पुनर्वास केंद्र फॉलोअप के लिए दोपहिया वाहन से आ रहे थे। जिला मुख्यालय से छह किलोमीटर दूर उन्हें पुलिस टीम ने रोक लिया। अनीश से वाजिब कारण बताया और अपनी बेटी के स्वास्थ्य का हवाला देकर उसे जाने देने की फरियाद की लेकिन पुलिसकर्मी नहीं माने। अनीश को गाड़ीबंदी का हवाला देते हुए उसका दोपहिया वाहन खड़ा करवा लिया और पैदल जाने की सलाह दे दी।
छह किलोमीटर गोद में लेकर पहुंचे
पुलिसकर्मियों ने जब दोपहिया वाहन खड़ा करवा लिया तो अनीश और उनकी पत्नी ११ माह की बेटी को लेकर पैदल ही छह किलोमीटर दूर अस्पताल चल दिए। अस्पताल पहुंचकर उन्होंने बच्चे का फॉलोअप करवाया और अपनी परेशानी भी बताई। फॉलोअप करवाने के बाद वे फिर छह किलोमीटर चले और दोपहिया वाहन लेकर अपने गांव पहुंचे। अनीश की तरह की अन्य लोगों को भी इस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
जरूरी है कुपोषित बच्चों का फॉलोअप
पोषण पुनर्वास केंद्रों में कुपोषित बच्चों को भर्ती करने के बाद उन्हें निर्धारित अवधि पूरा करने पर छुट्टी दे दी जाती है। इसके बाद बच्चे को लेकर परिजनों को समय-समय पर फॉलोअप के लिए केंद्र जाना पड़ता है। केंद्र में उनका वजन जांचा जाता है और उचित सलाह दी जाती है। वजन न बढऩे पर बच्चे को पुन: भर्ती कर लिया जाता है, उससे उसे पोषित बनाया जा सके।
फोन पर करवा रहे हैं फॉलोअप
यह बात सही है कि दोपहिया वाहन खड़ा करवा लेने के कारण अनीश को पैदल अपने बच्चे को लेकर आना पड़ा है। उसने अपनी समस्या बताई थी। उसे फोन पर ही सलाह दी जाएगी। बच्चों के फॉलोअप अब फोन पर ही लिए जा रहे हैं। अबतक ३० बच्चों का फॉलोअप हो चुका है।
मनीषा नेमा, डायटीशियन, पोषण पुनर्वास केंद्र, जिला अस्पताल