जानकारी के अनुसार जब यहां एनटीपीसी प्लांट के लिए जमीनी तौर पर काम शुरू हुआ उस समय करोड़ों रुपए का सरिया यहां मंगा कर रखा गया था लेकिन तत्कालीन एनटीपीसी प्रबंधन ने इसकी सुरक्षा के लिए पर्याप्त संख्या में सुरक्षा गार्ड की तैनाती नहीं की। बताया गया है कि ऐसा जानबूझकर किया गया था ताकि यहां से सरिया निकाल कर बाजार में बेचा जा सके। प्लांट शुरू होने के कम से कम १ साल तक यही स्थिति रही और इस दौरान बड़ी मात्रा में सरिया रातों रात यहां से मार्केट में बेचने के लिए भेजा जाता रहा। जानकारी के मुताबिक सरिया चोरी का काला कारोबार स्थानीय करेली और गाडरवारा के कबाडिय़ों और पुलिस विभाग की मिलीभगत से चलता रहा। सूत्रों की मानें तो इस बारे में एक गोपनीय शिकायत तत्कालीन करेली थाना टीआई अरविंद दुबे के खिलाफ भी की गई थी जो तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मुकेश श्रीवास्तव को भेजी गई थी। जिसमें सरिया चोरी में करेली पुलिस की संलिप्तता और चोरी करा कर माल ठिकाने लगाने वाले कुछ स्थानीय कबाडिय़ोंं एवं व्यापारियों व निर्माण कार्य से जुड़े ठेकेदारों के बारे में पूरी जानकारी दी गई थी लेकिन यह मामला रफा दफा कर दिया गया। बताया जाता है कि सरिया चोरी का कारोबार लंबे समय तक चला। स्थानीय ठेकेदारों ने भी यह माल खरीदा और निर्माण कार्य में उपयोग किया। जानकारी के अनुसार करेली की कुछ फर्मों के गोदामों में ट्रकों में माल लाकर उतारा गया।
वर्जन
एनटीपीसी से सरिया चोरी को लेकर मेरे खिलाफ कोई गोपनीय शिकायत की गई इस बात की मुझे कोई जानकारी नहीं है। एनटीपीसी से सरिया चोरी में मेरी व स्थानीय पुलिस की किसी तरह की कोई भूमिका नहीं रही।
अरविंद दुबे तत्कालीन टीआई करेली थाना
वर्जन
एनटीपीसी से सरिया चोरी को लेकर कभी कोई मामला मेरे सामने नहीं आया न ही टीआई अरविंद दुबे के खिलाफ मुझे कोई गोपनीय शिकायत प्राप्त हुई।
मुकेश श्रीवास्तव तत्कालीन पुलिस अधीक्षक नरसिंहपुर
वर्जन
एनटीपीसी से सरिया चोरी को लेकर मेरे खिलाफ कोई गोपनीय शिकायत की गई इस बात की मुझे कोई जानकारी नहीं है। एनटीपीसी से सरिया चोरी में मेरी व स्थानीय पुलिस की किसी तरह की कोई भूमिका नहीं रही।
अरविंद दुबे तत्कालीन टीआई करेली थाना
वर्जन
एनटीपीसी से सरिया चोरी को लेकर कभी कोई मामला मेरे सामने नहीं आया न ही टीआई अरविंद दुबे के खिलाफ मुझे कोई गोपनीय शिकायत प्राप्त हुई।
मुकेश श्रीवास्तव तत्कालीन पुलिस अधीक्षक नरसिंहपुर