शुगर मिलों ने पिछले सीजन में जिले के एक लाख से ज्यादा किसानों से सरकारी रेट के हिसाब से करीब 900 करोड़ का गन्ना खरीदा था पर शासन द्वारा निर्धारित रेट 294 रुपए 20 पैसे की बजाय 270 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीद कर जहां किसानों को करीब सीधे तौर पर करीब 2 अरब रुपए की चपत लगाई थी, वहीं कम रेट से खरीदने के बावजूद पूरा भुगतान न कर उनका करीब 195 करोड़ रुपए का भी भुगतान दबा लिया था। इस तरह गन्ना किसानों का करीब 395 करोड़ रुपए मिल मालिकों ने दबा रखा है। कलेक्टर कोर्ट ने इस पर शुगर मिल मालिकों से रिकवरी करने के लिए मई 2019 में सीजन खत्म होने पर शासन को प्रस्ताव भेजा था।
जानकारी के अनुसार पिछले सीजन में 8 मिलों ने 25 लाख टन से ज्यादा गन्ना यहां के किसानों से खरीदा था। किसानों से करीब 8 अरब रुपए का गन्ना खरीदा गया । शासन द्वारा निर्धारित रेट 294 रुपए 20 पैसे की दर से 25 लाख टन गन्ना खरीदने पर कुल भुगतान करीब 8 अरब रुपए होता है। निर्धारित रेट से कम राशि पर भुगतान करने की वजह से किसानों को सीधे तौर पर करीब 2 अरब रुपए की चपत लगी। नियमानुसार मिलों को 14 दिन में गन्ने का भुगतान करना चाहिए पर अधिकांश मिलों ने करीब 20 प्रतिशत तक भुगतान रोक कर रखा । जिस पर मिलें ब्याज का खेल खेल रही हैं दूसरी ओर किसान अपने पैसे के लिए भटक रहे हैं। सबसे ज्यादा भुगतान नर्मदा सुगर मिल का बकाया है। किसानों से गन्ना खरीदने वाली मिलों ने शासन के आदेश को धता बताकर अपनी शर्तों पर गन्ना खरीदा है और अभी तक पूरा भुगतान भी नहीं किया है। न तो कलेक्टर कोर्ट के आदेशों की परवाह की और न ही गन्ना आयुक्त के आदेश को तवज्जो दी है।
इनका कहना है
मई 2019 तक जिले के शुगर मिल मालिकों द्वारा सीजन में 642.96 करोड़ का गन्ना खरीदा गया था। शासन द्वारा निर्धारित रेट से काफी कम पर भुगतान करने की वजह से इसका अंतर करोड़ों में था, जिसकी रिकवरी के लिए प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। अभी तक इस संबंध में कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं।
दीपक सक्सेना, कलेक्टर