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मूंग बेचने 20-25 किमी दूर जाने मजबूर किसान

locationनरसिंहपुरPublished: Aug 17, 2022 11:57:43 pm

Submitted by:

Sanjay Tiwari

सहकारिता विभाग के प्रस्ताव को दरकिनार कर कृषि विभाग ने बनाए खरीदी केंद्र

मूंग बेचने 20-25 किमी दूर जाने मजबूर किसान

मूंग बेचने 20-25 किमी दूर जाने मजबूर किसान

नरसिंहपुर. हाल ही शुरू की गई मंूग की समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए कृषि विभाग ने किसानों की सहूलियत को नजरअंदाज करते हुए मनमाने ढंग से खरीद केंद्र बना दिए है। जिसका खामियाजे के रूप में किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए बीस से पच्चीस किमी का सफर तय करना पड़ रहा है। इससे उन्हे बारिश के मौसम में उपज के भीगने का डर तो बना ही है साथ में आवागमन में हो रही परेशानी का सामना भी करना पड़ रहा है।
इसका प्रत्यक्ष उदाहरण चांवरपाठा विकासखंड के गांवों में देखा जा रहा है। यहां सहकारी विभाग द्वारा सेवा सहकारी समिति सूरना को मूंग के लिए खरीद केंद्र बनाए जाने का प्रस्ताव दिया गया था। लेकिन इस साल सहकारिता विभाग द्वारा दिए गए प्रस्ताव के बावजूद भी सेवा सहकारी समिति सूरना को खरीदी केंद्र नहीं बनाया गया। इसके उलट इस समिति से जुड़े किसानों को गाडरवारा और करेली के खरीद केंद्रों से जोड़ दिया गया।
मालूम हो कि सेवा सहकारी समिति सूरना से करेली और गाडरवारा की दूरी कम से कम बीस किमी है। ऐसे में यहां के किसानों को अपनी मूंग की उपज बेचने के लिए काफी मशक्कत और भटकाव का सामना करना पड़ रहा है। यहां के किसानों का कहना है कि इस साल भौंरझिर का सरकारी वेयरहाउस खाली पड़ा है यदि कृषि विभाग द्वारा सूरना समिति में खरीदी केंद्र बना दिया जाता तो उपज बेचने में सहूलियत तो होती ही साथ में शासन की बचत भी होती।

किसानों ने बताई परेशानी
सूरना की सोसायटी हमारे गांव से पास में है। लेकिन यहां पर खरीदी केंद्र नहीं बनाया गया है। जिसके कारण हमें अपनी उपज बेचने के लिए करेली या गाडरवारा जाना पड़ेगा। ऐसे में काफी परेशानी होती है। वहीं उपज के रखरखाव की भी समस्या बनी रहती है।
पुष्पराज कौरव, किसान भौंरझिर

सूरना की सोसायटी से आसपास के करीब बीस गांवों के ढाई से तीन सौ किसान जुड़े हैं। यदि सूरना में केंद्र बना दिया जाता तो यहां के किसानों के भटकाव की समस्या खत्म हो जाती। लेकिन यहां पर केंद्र नहीं बनाए जाने के कारण लोगों की परेशानी कम होने की बजाए बढ़ गई है।
हरिसिंह कौरव, किसान घघरोला

खरीदी केंद्रों के दूर-दूर बनाए जाने के कारण छोटे और सीमांत किसानों पर भाड़े का अतिरिक्त भार पड़ता है। किसान चाहे एक बोरा ले जाए या पचास बोरा ले जाए उसे ट्राली का भाड़ा तो पूरा ही देना पड़ता है। ऐसे में छोटे किसानों को नुकसान हो जाता है।
भैयाजी राठौर, किसान मुडिय़ा

सेवा सहकारी समिति सूरना भौंरझिर के आस-पास के बीस गांवों के करीब ढाई से तीन सौ मंूग उत्पादक किसान है। जिनके लिए इस बार सहकारिता विभाग की ओर सूरना सोसायटी में खरीद केंद्र बनाने क लिए प्रस्ताव दिया है। लेकिन अभी तक यहां केंद्र नहीं बनाया गया।
राजकुमार कौरव अध्यक्ष सेवा सहकारी समिति कर्मचारी संघ

जिले में मंग की खरीदी के लिए पूर्व से तैयार की गई कार्ययोजना के अनुसार ही खरीदी केंद्र बनाए गए है। मंूग खरीदी कें द्रों को मेपिंग और उपज की भंडारण सुविधा को ध्यान में रखकर बनाया जाता है। क्योंकि मूंग में माइस्चर तुरंत आ जाता है इसलिए उसे खरीदी के तुरंत बाद व्यवस्थित ढंग से परिवहन करना पड़ता है। अन्यथा उसके खराब होने का खतरा बना रहता है।
व्हीपी दुबे वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी कृषि विभाग नरसिंहपुर

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