scriptश्रोताओं ने कृष्ण की बाल लीलाओं का श्रवण किया | The audience listened to Krishna's bal leelas | Patrika News

श्रोताओं ने कृष्ण की बाल लीलाओं का श्रवण किया

locationनरसिंहपुरPublished: Feb 12, 2019 05:29:22 pm

Submitted by:

ajay khare

गर्गाचार्य ने प्रभु का नामकरण करते हुए कहा कि इनके अनेक नाम होगें पर कृष्ण नाम से भक्तों के हृदय में वास करेंगे। उक्ताशय के उदगार प्रतिभा कालोनी की भागवत कथा आयोजन में भागवत किंकर पं कृष्णकांत शास्त्री ने बालकृष्ण की अनेक लीलाओं का गुणानुवाद किया।

Bhagwat

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गाडरवारा। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से ही गोकुल में उत्साह का वातावरण था। रोज अनेक उत्सव मनाए जाते, गर्गाचार्य ने प्रभु का नामकरण करते हुए कहा कि इनके अनेक नाम होगें पर कृष्ण नाम से भक्तों के हृदय में वास करेंगे। उक्ताशय के उदगार प्रतिभा कालोनी की भागवत कथा आयोजन में भागवत किंकर पं कृष्णकांत शास्त्री ने बालकृष्ण की अनेक लीलाओं का गुणानुवाद किया। इनमें पूतना वध, गोकुल से वृन्दावन आगमन, कालिया मर्दन आदि कथाओं को विस्तार से बताया। प्राचीन समय से गोकुल वासी इन्द्र की पूजन करते थे। बालकृष्ण ने कहा कि हम साक्षात गोवर्धन की पूजन करें और सभी ने अनेकानेक पकवान बनाकर गोवर्धन जी की तलहटी में जाकर पूजन आरम्भ की। विविध प्रकार के पकवानों का भोग लगाया। जब यह बात इन्द्र को पता चली तो उसने अपना अपमान समझा और वृन्दावन में घनघोर वर्षा होने लगी, लोग त्राहि त्राहि करने लगे। तब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन को अपनी अंगुली पर धारण किया। तभी से भगवान का नाम गिरधारी पड़ा। इस प्रकार से बालकृष्ण ने अपनी लीलाओं से अनेकों का उद्धार किया। अनेकों को सही मार्ग पर चलने हेतु प्रेरित किया। आगे बताया प्रभु इतने सरल है कि वे गोपांगनाओं के कहने पर नृत्य करने लगते हैं। उनके घर माखन खाते हैं, तथा उनको ही परेशान करते हैं। प्रभु ने अपनी लीलाओं से संसार को अनेक शिक्षाएं प्रदान की हैं।

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