पीएम के नशामुक्त भारत और सीएम के नशामुक्त एमपी को पलीता लगा रहा आबकारी विभाग
पीएम नरेंद्र मोदी के नशामुक्त भारत और सीएम शिवराज सिंह चौहान के नशामुक्त मध्यप्रदेश और कलेक्टर वेद प्रकाश व पुलिस अधीक्षक अजय सिंह के नशामुक्त नरसिंहपुर को जिले का आबकारी विभाग ही पलीता लगा रहा है या यूं कहें कि पीएम, सीएम और कलेक्टर एसपी के नशामुक्त अभियान को आबकारी विभाग ने डायनामाइट लगा कर उड़ा दिया है।

नरसिंहपुर. पीएम नरेंद्र मोदी के नशामुक्त भारत और सीएम शिवराज सिंह चौहान के नशामुक्त मध्यप्रदेश और कलेक्टर वेद प्रकाश व पुलिस अधीक्षक अजय सिंह के नशामुक्त नरसिंहपुर को जिले का आबकारी विभाग ही पलीता लगा रहा है या यूं कहें कि पीएम, सीएम और कलेक्टर एसपी के नशामुक्त अभियान को आबकारी विभाग ने डायनामाइट लगा कर उड़ा दिया है। एक ओर कलेक्टर अपनी पूरी क्षमता और कार्यकुशलता से जिले में नशामुक्ति के लिए रचनात्मक और ठोस कार्यक्रम चला रहे हैं और लगातार खुद इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं जबकि एसपी अजय सिंह लगातार अवैध मादक पदार्थों के विरुद्ध आपरेशन प्रहार चला कर रोज ही नशे के सौदागरों को सलाखों के पीछे कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर जिले का आबकारी विभाग उनके हर प्रयास पर पानी फेर रहा है। सवाल यह है कि ऐसा कैसे और क्यों। तो इस पर भी गौर फरमाते हैं। आबकारी विभाग की यह प्रमुख जिम्मेदारी है कि वह हर तरह के नशीले पदार्थों के अवैध व्यापार और कारोबार पर नजर रखे और इसे सख्ती से रोके। लेकिन आबकारी विभाग के संरक्षण में ही अवैध शराब, गांजा, के कारोबारियों को खुली छूट दी गई है। सवाल यह कि संरक्षण कैसे तो बात यह है कि कार्रवाई न करना संरक्षण देने की तरह है। जिससे जिले भर में हर जगह खुले आम अवैध शराब बिक रही है और गांजा की चुलम सुलगाई जा रही हैं। कार्रवाई के नाम पर आबकारी विभाग पुलिस की कार्रवाई को दूसरे दिन अपनी कार्रवाई बता कर अपनी पीठ ठोकने का प्रयास करने लगता है। पर आबकारी विभाग यहां भी अपनी छीछालेदर कराने में पीछे नहीं रहता। आबकारी विभाग जिस तरह से प्रेस नोट जारी करता है उसमें वह यह नहीं बता पाता कि कब, कहां, कैसे और क्यों कार्रवाई की गई और किससे कितनी मात्रा में शराब जब्त की गई। दरअसल बात यह है कि आबकारी विभाग का अमला फील्ड में जाता ही नहीं। यदि जन चर्चाओं को सही माना जाए तो आबकारी विभाग के अफसर व अधीनस्थ अमला इसलिए कार्रवाई नहीं करता क्योंकि जिन पर कार्रवाई करनी है उन्हीं से ही तो विभाग का फीलगुड कार्यक्रम चल रहा है। लोग तो यह भी कहते हैं कि हर माह अवैध कारोबारी मोटी रकम भेंट करते हैं जनचर्चा यह है कि फीलगुड कार्यक्रम हर माह ५ लाख रुपए का है। हालांकि हम इस बात की पुष्टि नहीं करते क्योंकि यह जन चर्चा है। आबकारी विभाग का भारी भरकम अमला अपनी हरकतों से आबकारी की खाकी के नाम पर पुलिस की खाकी वर्दी की भी छवि धूमिल कर रहा है। इसकी एक बानगी इस प्रकार है-
न आरोपी का पता न प्रकरण का न धाराओं का न कार्रवाई की पुष्टि
जिले के गाडरवारा, सालीचौका क्षेत्र में कच्ची महुआ शराब खुले आम उतर रही है। इसकी शिकायतों के बावजूद आबकारी अफसर चुप्पी साधे हैं। शुक्रवार को जिला आबकारी विभाग ने प्रेस नोट जारी कर चार स्थानों से 710 किलोग्राम महुआ लाहन व 21 लीटर हाथ भट्टी मदिरा बरामद करने का दावा किया। जिसमें इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि किन स्थानों से महुआ लाहन व अवैध शराब जब्त की गई है उसमें कितनों को आरोपी बनाया गया है और किस धारा के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया है। आबकारी विभाग की सफलता की बड़ी कहानी के अनुसार गुरुवार को करेली के हनुमान वार्ड, राजेंद्र वार्ड के अलावा इमलिया व जोहरिया गांव में सामूहिक दबिश देकर 710 किलोग्राम महुआ लाहन ,शराब बनाने का कच्चा माल व 21 लीटर हाथ भट्टी मदिरा बरामद की गई। महुआ लाहन का सेंपल लेकर मौके पर विनष्टीकरण कराया गया। अभियान के दौरान अवैध मदिरा से संबंधित 7 प्रकरण दर्ज किए गए। इस जानकारी को जिला आबकारी अधिकारी ने वर्ष २०२१ के पहले माह की पहली बड़ी और महान उपलब्धि की तरह जारी किया। बाकायदा महुआ लाहन के साथ विभाग के चार पांच कर्मचारियों की तस्वीरें जारी की गर्इं। आगे की कहानी ठीक वैसी है जैसे वॉलीबुड के बॉक्स ऑफिस पर पहले शो में पिट चुकी किसी फिल्म की तरह।
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