कभी बुझाते थे जेल की प्यास, लोगों ने बना दिया डस्टबिन
नरसिंहपुरPublished: Jun 07, 2019 09:23:46 pm
जेल के तीन कुओं में भर दिया कचरा, जल स्रोतों के संरक्षण पर नहीं ध्यान
कभी बुझाते थे जेल की प्यास, लोगों ने बना दिया डस्टबिन
नरसिंहपुर. सेंट्रल जेल के परिसर में स्थित तीन कुएं कभी जेल के कैदियों की प्यास बुझाते थे और इससे आसपास के लोग भी पानी भरा करते थे पर अब ये कचरा घर बन चुके हैं। जल स्रोतों के प्रति लोगों के उपेक्षा के भाव और शासकीय स्तर पर इनका संरक्षण न किए जाने की वजह से वर्षों पुराने ये कुएं अपना अस्तित्व खो चुके हैं। बताया गया है कि पहले जेल में इन्हीं कुओं के पानी का उपयोग किया जाता था। कैदियों के अलावा जेल स्टाफ भी इन्हीं कुओं के पानी से अपनी जल आवश्यकता की पूर्ति करता था। बाद में जेल में नल जल योजना व अन्य साधनों से पानी की सप्लाई होने लगी जिससे कुओं के पानी का उपयोग कम हो गया। दूसरी ओर जेल के आसपास रहने वाले लोगों के घरों में नल जल योजना के पानी की सप्लाई होने से उन्होंने भी इसका पानी उपयोग करना बंद कर दिया जिससे ये उपेक्षित हो गए। जब तक इनमें पानी रहा घरों में शुभ अवसरों पर कुआं पूजन के लिए लोग इन कुओं पर आते रहे फिर धीरे धीरे लोगों ने इनमें कचरा डालना शुरू कर दिया और फिर ये कचरा घर में तब्दील हो गए। अब ये कुएं अपनी बदहाली पर रो रहे हैं। गौरतलब है कि इस भीषण गर्मी में जल स्रोत दम तोड़ रहे हैं और भूजल काफी गहराई पर चला गया है इस स्थिति में लोगों को इन कुओं की एक बार फिर याद आने लगी है और यह महसूस किया जा रहा है कि यदि ये कुएं जिंदा होते तो इस क्षेत्र का भूजल स्तर मेंटेन बना रहता।
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वर्जन
साल दर साल गिरते जा रहे भूजल स्तर को ध्यान में रखते हुए पुराने कुओं बाबडिय़ों को जिंदा करना जरूरी है। इनका संरक्षण करने से आसपास के अन्य जल स्रोतों में जल स्तर बनाए रखने में मदद मिलेगी। हम सबको इसके लिए आगे आना चाहिए।
रोहित पटेल,युवा कांग्रेस विधानसभा अध्यक्ष
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वर्जन
उपेक्षित पड़े व कचराघर में तब्दील हो चुके पुराने कुओं के जीर्णोद्धार के लिए जो भी जरूरी कार्य है वह किया जाएगा। जल स्रोतों का संरक्षण हम सबका नैतिक दायित्व है।
केएस ठाकुर, सीएमओ
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