प्रशासन के नियमों की उड़ाई जा रही धज्जियां :गर्मी में भी धड़ल्ले से जारी है नलकूप खनन
नरसिंहपुरPublished: Apr 29, 2019 05:12:37 pm
पत्रिका सरोकार नरसिंहपुर जिला प्रशासन द्वारा गर्मी में नलकूप खनन पर प्रतिबंध लगाया गया है। लेकिन इसका सख्ती से पालन नहीं हो रहा। जिसके चलते आए दिन धरती के दोहन के लिए प्रतिदिन नलकूप खनन जगह जगह हो रहे हैं। जब तक शासन प्रशासन इन अवैध खनन करने वालों पर कड़ाई से पेश नहीं आएगा। तब तक नलकूप खनन पूर्णत: बंद नहीं हो सकता।
सालीचौका। गर्मी में भी भूजल के बेजा दोहन से लग रहा है कि लगातार गिर रहे धरती के जलस्तर पर शासन प्रशासन की उदासीनता के चलते आने वाले समय में लोग बूंद बूंद पानी को तरसेंगे। क्योंकि शासन प्रशासन जल संरक्षण के लिए कोई ठोस उपाय नहीं कर रहा। लोगों के अनुसार नदी नालों पर स्टॉप डेम का निर्माण होना चाहिए। ग्राम पंचायत स्तर पर जल संरक्षण के लिए योजनाओं का विस्तार होना चाहिए। गर्मी के किसानों के लिए मूंग और गन्ने की सफल का भी एक मापदण्ड होना चाहिए। क्योंकि ग्रीष्म समय की गन्ना एवं मूंग की फसल में सबसे ज्यादा जल का दोहन होता है। जबकि इसी समय धरती का जलस्तर सबसे ज्यादा नीचे खिसकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि हर वर्ष धरती का जलस्तर नीचे की ओर खिसक रहा है। अगर समय रहते इसका उपाय नहीं किया गया तो वह समय अब दूर नहीं जब रेगिस्तान की तरह मध्य प्रदेश के लोग भी बूंद बूंद पानी के लिए तरस जाएंगे। इसलिए जल संरक्षण के लिए शासन को विशेष प्रयोजन करना चाहिए। जिससे धरती का जलस्तर घटने की बजाय कम से कम स्थिर ही बना रहे।
गर्मी में भी खुद रहे नलकूप
बताया जाता है नरसिंहपुर जिला प्रशासन द्वारा गर्मी में नलकूप खनन पर प्रतिबंध लगाया गया है। लेकिन इसका सख्ती से पालन नहीं हो रहा। जिसके चलते आए दिन धरती के दोहन के लिए प्रतिदिन नलकूप खनन जगह जगह हो रहे हैं। जब तक शासन प्रशासन इन अवैध खनन करने वालों पर कड़ाई से पेश नहीं आएगा। तब तक नलकूप खनन पूर्णत: बंद नहीं हो सकता।
जल बचाने निर्धारित हो गन्ने का रकबा
बता दें सबसे ज्यादा पानी की खपत गन्ने की फसल की सिंचाई में होती है। गन्ने की फसल में 12 महीने पानी लगता है। ऐसे में अब शासन प्रशासन को चाहिए कि वह जिले के जलस्तर को देखते हुए हुए गन्ने के रकबे को भी उसी हिसाब से तय किया जाए जिससे जलस्तर को बचाया जा सके।
सामने आ रहे दुष्परिणाम
जहां जहां पर गन्ने की फसल अधिक लगी हुई है, उन स्थानों का जल स्तर सबसे ज्यादा नीचे पहुंच चुका है। इस प्रकार इसके दुष्परिणाम भी सामने आने लगे हैं। इसकी गवाही ग्रामीण अंचलों में डेढ़ सौ से 120 फुट तक के पुराने हैंडपंप दे रहे हैं। गर्मी चरम पर नहीं आई है और उनमें से पानी जगह हवा निकलने लगी है। ऐसे अनेकों हैंडपंप जलस्तर खिसकने से बंद पड़े हुए हैं।
इनका कहना
हम दिखवाते कहां पर बगैर अनुमति बोरवेल मशीनें चल रही हैं।
दीपक सक्सेना, कलेक्टर नरसिंहपुर