आदि शंकराचार्य ने देश की चारों दिशाओं में चार मठों की स्थापना करने के बाद जिन चार शिष्यों को शंकराचार्य का दायित्व सौंपा था उन्हें एक एक शिवलिंग भी आदि शंकराचार्य ने प्रदान किया था। उनमें से एक शिवलिंग द्वारका शारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के पास है। जिन्हें चंद्र मौलेश्वर शिवलिंग के नाम से जाना जाता है। हर दिन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती सुबह के समय पूजा अर्चना करते हैं सावन सोमवार मास में शंकराचार्य द्वारा विशेष पूजा अर्चना की जाती है। शिवलिंग के दर्शन करने के लिए भक्त गण देश भर से आते हैं।
डमरू घाटी शिव मंदिर में आज १०९९ वां अभिषेक
गाडरवारा क्षेत्र में स्थित डमरू घाटी शिव मंदिर यहां का प्रसिद्ध शिव मंदिर है। यहां १७ जुलाई २००० को श्रावण मास के पहले सोमवार को पहला शिव अभिषेक किया गया था। तब से अभी तक प्रत्येक सोमवार को शिवार्चन का सिलसिला चला आ रहा है। इस सोमवार को यहां १०९९ वां शिव अभिषेक किया जाएगा। यह एक अत्यंत प्राकृतिक एवं मनोरम स्थल है। श्रावण मास में यहां शिव पूजन के लिए दूर दूर से श्रद्धालु आते हैं।
बरमान रेतघाट स्थित चंद्रमौलेश्वर मंदिर में विराजे चंद्रमौलेश्वर महादेव को नर्मदेश्वर कहा जाता है। यहां नर्मदेश्वर का आशय है नर्मदा से निकला हुआ शिवलिंग। यहां स्थापित शिवलिंग रानी दुर्गावती के शासन काल में नर्मदा नदी के सूरजकुंड के समीप स्थित बह्मकुंड से प्रकट हुए थे। नर्मदा नदी के तट पर स्थित होने के कारण इस मंदिर का शिवभक्तों के लिए विशेष महत्व है। यहां बड़ी संख्या में दूर दराज से शिवभक्त पहुंचते हैं जो भक्तिभाव से मां नर्मदा में स्नान उपरांत चंद्रमौलेश्वर महादेव का नर्मदा जल से अभिषेक करते हैं। चंद्रमौलेश्वर मंदिर के पुजारी पं राकेश शर्मा ने बताया कि नर्मदेश्वर भोलेनाथ के बारे में मान्यता है यहां प्रार्थना करने पर भक्तों के दुख दूर होते हंै और उन्हें उत्तम संतान की प्राप्ति होती है।