नरसिंहपुर

बंदियों को दिया गया दो दिनी कृषि उपज प्रशिक्षण

नरसिंहपुर। केन्द्रीय जेल में निरुद्ध बंदियों को भू रहित माध्यम से प्रो-टेऊ तकनीक द्वारा खरीब सब्जियों की नर्सरी तैयार करने का तरीका सुझाया एवं प्रो-टेऊ तकनीक से सब्जियों की पौध तैयार करबीज की बुवाई तथा सिंचाई का तरीका प्रयोग द्वारा बताया ।

नरसिंहपुरJun 05, 2018 / 09:06 pm

ajay khare

Two day agricultural produce training given to detainees

नरसिंहपुर। केन्द्रीय जेल नरसिंहपुर में निरुद्ध बंदियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए दो दिवसीय कृषि उपज प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन पर्यावरण दिवस पर हुआ। दोदिवसीय आयोजन के दौरान सोमवार को कृषि विज्ञान केन्द्र, नरसिंहपुर की विशेषज्ञ डाक्टर ऋचा सिंह ने बंदियों को भू रहित माध्यम से प्रो-टेऊ तकनीक द्वारा खरीब सब्जियों की नर्सरी तैयार करने का तरीका सुझाया एवं प्रो-टेऊ तकनीक से सब्जियों की पौध तैयार करने के लिए आवश्यक सामग्री में कोकोपिट, वर्मीकुलाइट एवं परलाइट के मिश्रण से पौधों के लिए स्थान तैयार करने, बीज की बुवाई तथा सिंचाई का तरीका प्रयोग द्वारा सिखाया एवं बताया कि भू-रहित पौध रोपण प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य आधुनिक तरीके से रोग रहित और उच्च गुणवत्ता वाली पौध तैयार करना है । इस तकनीक से बीज का जमाव और अंकुरण अच्छा होता है एवं पौधे को पर्याप्त स्थान मिलने से विकास के साथ ही खरपतवार एवं बीमारी की समस्या भी कम रहती है ।
वहीं मंगलवार को विश्व पर्यावरण दिवस एवं प्रशिक्षण के समापन अवसर पर आशुतोष शर्मा कृषि विशेषज्ञ नेे बंदियों को प्रो-टेऊतकनीक द्वारा कृषि उपज से कम लागत एवं कम समय में अधिक उत्पादन कर अधिक लाभ अर्जित करना बताया। कार्यक्रम में उपस्थित प्रगतिशील एवं राष्ट्रपति पुरुस्कार प्राप्त कृषक रोशनलाल विश्वकर्मा ने गोबर, गेंहूँ के दाने एवं मिट्टी के मिश्रण से वस्तुएँ तैयार कर बंदियों को खेती के गुणों के साथ ही आय अर्जित करने का उच्चतम माध्यम बताया। प्रशिक्षण में सत्य मोहन वर्मा एवं राजकुमार विश्वकर्मा ने सहयोगी के रुप में मौजूद रहकर जानकारी दी। जेल अधीक्षक शेफाली तिवारी ने आभार व्यक्त किया। आयोजन में जेल उप अधीक्षक अनिल अग्रवाल, सहायक जेल अधीक्षक संतोष हरियाल, कैलाश नेवारे के साथ ही अधिकारी, कर्मचारी एवं सुरक्षा स्टॉफ उपस्थित रहा।
कार्यक्रम में उपस्थित प्रगतिशील एवं राष्ट्रपति पुरुस्कार प्राप्त कृषक रोशनलाल विश्वकर्मा ने गोबर, गेंहूँ के दाने एवं मिट्टी के मिश्रण से वस्तुएँ तैयार कर बंदियों को खेती के गुणों के साथ ही आय अर्जित करने का उच्चतम माध्यम बताया।
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