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कृषि कानूनों को रद्द कराने को किसानों ने ऐसे किया प्रदर्शन

locationनरसिंहपुरPublished: Dec 14, 2020 09:36:52 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

-भाजपा सांसद बोले-विरोधी मानसिकता से ग्रस्त हैं किसान

किसानों का अर्द्धनग्न हो कर अनूठा प्रदर्शऩ

किसानों का अर्द्धनग्न हो कर अनूठा प्रदर्शऩ

नरसिंहपुर. एक तरफ पूरे देश के किसान नए कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग को लेकर आंदोलित हैं, वहीं बीजेपी से सांसद, विधायक किसानों को ही दोषी ठहरा रहे हैं। उन्हें विरोधी मानसिकता से ग्रस्त बता रहे हैं। वैसे इससे किसानों पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा। उन्होंने सोमवार को अर्द्धनग्न हो कर प्रदर्शन किया।
बता दें कि कृषि कानूनों को रद्द कराने को लेकर आंदोलित किसानों ने सोमवार को देशव्यापी उपवास का आह्वान किया था। कहा गया था कि देश के सभी जिला मुख्यालयों पर किसान और समर्थक प्रदर्शन करेंगे। इसके तहत नरसिंहपुर के किसानों ने अनूठा प्रदर्शऩ किया। वो अर्द्धनग्न हो कर सड़कों पर निकले और विरोध जताया। साथ ही कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। वहीं एक अन्य किसान संगठन ने मंडी में धरना प्रदर्शन के बाद रैली निकाली और ज्ञापन सौंपा। किसानों के प्रदर्शन से नृसिंह भवन परिसर में शाम तक गहमाहगमी का माहौल बना रहा।
सोमवार की दोपहर बाद राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ से जुड़े किसान व संगठन पदाधिकारी खैरीनाका पहुंचे। वहां संघ के उन्होंने दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में अर्द्घनग्न होकर रैली शुरू की और नारे लगाते हुए नृसिंह भवन पहुंचे। वहां धरना दिया और आंदोलन में मृत किसानों को शहीद का दर्जा देते हुए दो मिनट का मौन रखते हुए श्रद्घाजंलि दी। फिर प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन कलेक्टर को सौंपा। ज्ञापन में किसानों से संबंधित स्थानीय मुद्दों पर कलेक्टर ने समस्याओं के शीघ्र निराकरण कराने तथा प्रशासन की मध्यस्थता में बैठक कराने का आश्वासन दिया।
राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ ने कृषि उपज मंडी में केंद्र सरकार के तीन कृषि बिलों को वापिस लेने व अनाज, समर्थन मूल्य पर खरीद करने के लिए गारंटी का कानून बनाने की मांग की। महासंघ ने मंडी परिसर में करीब 5 घंटे तक धरना देते हुए उपवास किया। इस दौरान महासंघ के कई पदाधिकारियों ने अपने विचार रखते हुए कृषि कानून को किसान विरोधी बताया। दोपहर बाद मंडी से महासंघ के सदस्यों ने रैली निकाली और सुभाष पार्क के पास पहुंचकर ज्ञापन सौंपा।
इस मौके पर महासंघ के महाकौशल प्रांत अध्यक्ष ऋषिराज पटेल, जिलाध्यक्ष कमल सिंह लोधी, देवेंद्र पटेल, श्याम पटेल, कुंजबिहारी यादव, चौ. लोकेश सिंह, राजेश पटेल, मातवर पटेल, रविन्द्र पटेल आदि किसानों ने तीनों कानूनों को वापिस लेने की मांग करते हुए प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री कमल पटेल के एक आपत्तिजनक बयान की भी निंदा कर इस्तीफे की मांग की।
प्रदर्शन करने वालों में राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के प्रदेश कोषाध्यक्ष नीतिराज सिंह पटेल, जिला अध्यक्ष एकम सिंह पटेल, राव प्रमोद कुमार, जबलपुर संभाग अध्यक्ष देवेंद्र पटेल, जिला उपाध्यक्ष बृजमोहन कौरव, जिला संरक्षक वसंत खैरौनिया, ओम प्रकाश पटेल, मुन्ना, राकेश खैरौनिया, महेश पटेल, नेपाल सिंह, गिरधारी पटेल, कृष्ण कुमार पटेल, जितेंद्र, बंटी आदि मौजूद रहे।
भाजपा सासंद कैलाश सोनी
उधर मीडिया से मुखातिब भाजपा के राज्यसभा सांसद कैलाश सोनी ने कहा कि देश की संसद ने किसानों के व्यापक हित में क्रमशः कृषि व्यापार विपणन, कांटेक्ट फार्मिंग और अत्यावश्यक वस्तु अधिनियम पारित किए हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग या संगठन इनका विरोध कर रहे हैं वे दरअसल किसान विरोधी मानसिकता से ग्रसित हैं।
सोनी ने कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए आरोप लगाया कि उसके नेता किसान हितैषी कानूनों के संबंध में गलतफहमी पैदा करने की असफल कोशिश कर रहे हैं। कहा कि कृषि सुधार संबंधी केंद्र के ये कानून वास्तव में किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हैं। इनके माध्यम से देश के किसानों को सारे बंधनों से मुक्त कर स्वतंत्रता दी गई है ताकि आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का रास्ता प्रशस्त हो सके। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा है कि भारत को सारी दुनिया को अन्न खिलाने का हब बनाया जा सके।
राज्यसभा सदस्य ने बताया कि केंद्र सरकार ने आश्वस्त किया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की नीति जारी रहेगी। सरकार इसके लिए लिखित आश्वासन देने के लिए तैयार है। साथ ही उन्होंने मंडी व्यवस्था भी यथावत रखे जाने की बात कही। ये भी कहा कि इनके अलावा जो भी गंभीर मसले हैं उस पर सरकार विचार-विमर्श के लिए तैयार है।
कृषि बिलों के जारी विरोध पर सोनी ने कहा कि जो लोग किसानों का भला नहीं सोचते वे वर्तमान मंडी व्यवस्था को लेकर अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं, जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्व में अपने घोषणापत्र में भी ऐसे कानून को बनाने की बात कही थी। बावजूद इसके वह राजनीति से प्रेरित होकर अब कृषि बिलों का विरोध कर रही है।

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