शिक्षक उन्हें पढ़ाने के लिए जगंल से ढूंढ कर लाते हैं.
अनोखी पाठशाला-केवल भाई-बहन को पढ़ाने का वेतन एक लाख रुपए महीना
गोटेगांव (नरसिंहपुर). मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले में एक ऐसा अनोखी पाठशाला है, जहां महज दो बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल के ताले खुलते हैं, आश्चर्य की बात तो यह है कि इन बच्चों की भी ऐसी मजबूरी है, जो उन्हें बकरियां भी चराने जाना पड़ता है, ऐसे में कई बार शिक्षक उन्हें पढ़ाने के लिए जगंल से ढूंढ कर लाते हैं। लेकिन अच्छी बात है कि प्रशासन भी इन दोनों भाई-बहनों के भविष्य को देखते हुए स्कूल तो संचालित रखने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है।
एक लाख रुपए खर्च होता है वेतन मध्यप्रदेश में एक ऐसा सरकारी स्कूल भी है, जिसका संचालन केवल भाई-बहन के लिए हो रहा है। इन्हीं दो बच्चों की पढ़ाई पर हर महीने करीब एक लाख रुपए वेतन और अन्य मदों में व्यय किए जा रहे हैं।
चिरचिटा गांव में है स्कूल खास बात यह है कि पारिवारिक परिस्थितियों की वजह से जब बच्चे बकरियां चराने जाते हैं तो शिक्षक उन्हें खेतों से ढूंढकर स्कूल तक लाते हैं और पढ़ाई कराते हैं। शिक्षा विभाग का यह अनूठा स्कूल गोटेगांव विकासखंड के चिरचिटा गांव में है। संकुल केंद्र सर्रा के अंतर्गत आने वाले इस स्कूल में दो शिक्षक हैं। दर्ज बच्चों की संख्या भी केवल दो ही है।
ट्रेन के सामने कूदकर दी जान, सुसाइड नोट में किया यह खुलासागांव में सिर्फ छह घर चिरचिटा गांव में छह घर हैं। शिक्षक गुलाब साहू इसी स्कूल में हैं। शिक्षिका अनीता दुबे को कम छात्र संख्या की वजह से सर्रा संकुल में अटैच कर दिया गया है। डीपीसी एसके कोष्टी कहते हैं कि हमारे लिए बच्चों का भविष्य महत्त्वपूर्ण है, इसलिए दो बच्चे होने के बाद भी स्कूल संचालित है। बच्चों की पढ़ाई पर पूरा ध्यान दिया जाएगा।