सितंबर २०१७ में की थी घोषणा
कृषि विकास मंत्री ने सितंबर २०१७ में गन्ना विकास परिषद के गठन की घोषणा की थी। शुगर मिलों द्वाराफंड में राशि जमा करने के लिए अकाउंट नंबर भी जारी कर दिया था। पर यह केवल कागजी साबित हुआ क्योंकि अभी तक शासन स्तर पर गन्ना विकास परिषद के गठन को लेकर किसी तरह की अधिसूचना जारी नहीं की गई। जिससे इस परिषद के गठन को लेकर शासन और जन प्रतिनिधियों की मंशा पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
कृषि विकास मंत्री ने सितंबर २०१७ में गन्ना विकास परिषद के गठन की घोषणा की थी। शुगर मिलों द्वाराफंड में राशि जमा करने के लिए अकाउंट नंबर भी जारी कर दिया था। पर यह केवल कागजी साबित हुआ क्योंकि अभी तक शासन स्तर पर गन्ना विकास परिषद के गठन को लेकर किसी तरह की अधिसूचना जारी नहीं की गई। जिससे इस परिषद के गठन को लेकर शासन और जन प्रतिनिधियों की मंशा पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
यह है प्रारूप
जानकारी के अनुसार गन्ना विकास परिषद में गन्ना कारखानों के रकबा, क्षेत्र के लिए अधिसूचना जारी की जानी है। शासन जब इस संबंध में अधिसूचना जारी करेगा तब इसके निगम, निकाय का गठन होगा। जिसका शाश्वत उत्तराधिकार होगा और अधिनियम तैयार किया जाएगा। परिषद को चल तथा अचल दोनों प्रकार की संपत्ति को प्राप्त करने, धारण करने तथा उसके प्रबंध करने उसे अंतरित करने तथा अनुबंध करने की सामथ्र्य शक्तियां प्रदान की जाएंगी। जानकारी के अनुसार गन्ना विकास परिषद को लेकर जो मसौदा तैयार किया गया है उसमें उपधारा 3 के अधीन यह व्यवस्था की गई है कि नामांकित प्रत्येक व्यक्ति अपना पद उस दिनांक को ग्रहण करेगा जिसको कि उसको नामांकित करने वाली अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशित की जाएगी । ऐसे चयनित व्यक्ति की पदावधि अधिसूचना दिनांक से 3 वर्ष होगी।
जानकारी के अनुसार गन्ना विकास परिषद में गन्ना कारखानों के रकबा, क्षेत्र के लिए अधिसूचना जारी की जानी है। शासन जब इस संबंध में अधिसूचना जारी करेगा तब इसके निगम, निकाय का गठन होगा। जिसका शाश्वत उत्तराधिकार होगा और अधिनियम तैयार किया जाएगा। परिषद को चल तथा अचल दोनों प्रकार की संपत्ति को प्राप्त करने, धारण करने तथा उसके प्रबंध करने उसे अंतरित करने तथा अनुबंध करने की सामथ्र्य शक्तियां प्रदान की जाएंगी। जानकारी के अनुसार गन्ना विकास परिषद को लेकर जो मसौदा तैयार किया गया है उसमें उपधारा 3 के अधीन यह व्यवस्था की गई है कि नामांकित प्रत्येक व्यक्ति अपना पद उस दिनांक को ग्रहण करेगा जिसको कि उसको नामांकित करने वाली अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशित की जाएगी । ऐसे चयनित व्यक्ति की पदावधि अधिसूचना दिनांक से 3 वर्ष होगी।
परिषद में ये होंगे शामिल
परिषद में अध्यक्ष के अलावा शकर कारखानों के प्रतिनिधि व अन्य जनप्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाएगा। परिषद के कार्य में शकर कारखाना के लिए गन्ने के प्रदायक, गन्ने की किस्म, कारखानों के प्रबंधकों, गन्ना उत्पादक सहकारी समितियों आदि के बीच संबंध बनाए रखने की जिम्मेदारी भी होगी। गन्ना परिषद को लेकर तैयार किए गए मसौदे में किसानों के हितों से संबंधित तमाम अन्य चीजें शामिल की गईं हैं लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि अभी तक सरकार ने गन्ना विकास परिषद के गठन को लेकर अधिसूचना जारी नहीं की जबकि जिले में गन्ना परिषद के गठन को लेकर तत्कालीन कलेक्टर डॉ.आरआर भोंसले ने दो बार शासन को प्रस्ताव भेजे थे।
सुगर मिलों ने जमा नहीं की ८० लाख की राशि
जानकारी के अनुसार गन्ना विकास परिषद के गठन के संबंध में शासन ने जो एकाउंट नंबर जारी किया था उसमें प्रत्येक गन्ना मिल को ५० पैसे प्रति क्विंटल के हिसाब से अपना अंशदान जमा करना है। पर अभी तक उसमें एक पैसा भी जमा नहीं हो सका। यह राशि पिछले वर्षों में खरीदे गए गन्ना की मात्रा के हिसाब से जमा की जानी है। जानकारी के मुताबिक यहां की ८ सुगर मिल मालिकों को अपने हिस्से का ८० लाख रुपए परिषद के खाते में जमा करना है। शासन स्तर पर अधिसूचना जारी न होने से गन्ना मिल मालिक भी यह राशि अपने पास दबा कर बैठे हैं।
परिषद में अध्यक्ष के अलावा शकर कारखानों के प्रतिनिधि व अन्य जनप्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाएगा। परिषद के कार्य में शकर कारखाना के लिए गन्ने के प्रदायक, गन्ने की किस्म, कारखानों के प्रबंधकों, गन्ना उत्पादक सहकारी समितियों आदि के बीच संबंध बनाए रखने की जिम्मेदारी भी होगी। गन्ना परिषद को लेकर तैयार किए गए मसौदे में किसानों के हितों से संबंधित तमाम अन्य चीजें शामिल की गईं हैं लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि अभी तक सरकार ने गन्ना विकास परिषद के गठन को लेकर अधिसूचना जारी नहीं की जबकि जिले में गन्ना परिषद के गठन को लेकर तत्कालीन कलेक्टर डॉ.आरआर भोंसले ने दो बार शासन को प्रस्ताव भेजे थे।
सुगर मिलों ने जमा नहीं की ८० लाख की राशि
जानकारी के अनुसार गन्ना विकास परिषद के गठन के संबंध में शासन ने जो एकाउंट नंबर जारी किया था उसमें प्रत्येक गन्ना मिल को ५० पैसे प्रति क्विंटल के हिसाब से अपना अंशदान जमा करना है। पर अभी तक उसमें एक पैसा भी जमा नहीं हो सका। यह राशि पिछले वर्षों में खरीदे गए गन्ना की मात्रा के हिसाब से जमा की जानी है। जानकारी के मुताबिक यहां की ८ सुगर मिल मालिकों को अपने हिस्से का ८० लाख रुपए परिषद के खाते में जमा करना है। शासन स्तर पर अधिसूचना जारी न होने से गन्ना मिल मालिक भी यह राशि अपने पास दबा कर बैठे हैं।
प्रदेश में सबसे अधिक गन्ना उत्पादक जिला
नरसिंहपुर जिला प्रदेश में सबसे अधिक गन्ना का उत्पादन करने वाला जिला है। इस बार गन्ना किसानों ने यहां की शुगर मिलों को करीब ५७० करोड़ का गन्ना बेचा है । यहां ८ शुगर मिलें हैं और प्रदेश की सबसे बड़ी व प्रसिद्ध करेली गुड़ मंडी भी यहीं है। इसके बावजूद यहां सहकारी शुगर मिल की स्थापना नहीं हो सकी जबकि बुरहानपुर में कई वर्षों से सहकारी शुगर मिल संचालित है।
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नरसिंहपुर जिला प्रदेश में सबसे अधिक गन्ना का उत्पादन करने वाला जिला है। इस बार गन्ना किसानों ने यहां की शुगर मिलों को करीब ५७० करोड़ का गन्ना बेचा है । यहां ८ शुगर मिलें हैं और प्रदेश की सबसे बड़ी व प्रसिद्ध करेली गुड़ मंडी भी यहीं है। इसके बावजूद यहां सहकारी शुगर मिल की स्थापना नहीं हो सकी जबकि बुरहानपुर में कई वर्षों से सहकारी शुगर मिल संचालित है।
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