नरसिंहपुर

बदहाली ऐसी कि दूर-दूर तक नहीं दिख रहा पानी

संरक्षण के अभाव में दम तोडऩे लगी क्षेत्र की जीवनरेखा कही जाने वाली शक्कर नदी, बचाने नहीं किए प्रयास

नरसिंहपुरFeb 23, 2019 / 11:43 pm

narendra shrivastava

Water not seen

गाडरवारा। जलसरंक्षण और जलसंवर्धन को लेकर शासन द्वारा चलाये जा रहे नदी पुर्नजीवन अभियान के बावजूद गाडरवारा की जीवन रेखा कही जाने वाली शक्कर नदी को बचाने के लिए प्रयास होते नहीं दिख रहे। हाल ही में नदी पुनर्जीवन के तहत बनाई गई कार्ययोजना से यह नदी वंचित हो गई है और यह दिन ब दिन बदहाल होती जा रही है। फरवरी माह के गुजरने के साथ ही इसमें नाममात्र की धारा बची है। नदी में पानी के नाम पर जगह जगह डबरे बनते जा रहे हैं। इससे लग रहा है कि आने वाले कुछ ही दिनों में नदी से पूरी तरह पानी खत्म हो सकता है। नदी में पानी सूखने का असर शहर के जलस्तर पर भी पड़ेगा। नदी के प्रति बरती जा रही उदासीनता और जागरूकता की कमी के चलते नदी किनारे रेत में इन दिनों बेहद कचरा फैला हुआ है, गंदगी का आलम भी दिख रहा है। इससे नदी का पानी प्रदूषित होकर बीमारियां फैलने की आशंका जताई जा रही है। नदी में कई जगहों पर नगर की नालियों का गंदा पानी आकर प्रदूषण गंदगी फैला रहा है। छिड़ाव घाट के पास तथा पुल के पास नदी में निस्तारी गंदा पानी आकर मिलता है। शक्कर नदी के सड़क पुल पर से देखने पर नदी के पानी में मिल रही गंदगी देखी जा सकती है। बताया जाता है कि छिड़ावघाट पर नदी की रेत में अनेक मदिरा प्रेमी मदिरापान करने पहुंचते हैं। जिनके द्वारा रेत में खाली बोतलें, पाउच आदि का कचरा फैलाया जाता है। पूर्व में पुलिस द्वारा शराबियों को यहां से खदेड़ा जा चुका है। लेकिन पुलिस का इस ओर से ध्यान हटते ही रात में फिर से शराबखोरी होने लगी है।
कई परिवारों के भरण पोषण का सहारा है नदी- नदी शहर के अनेक लोगों के परिवारों का भरण पोषण में भी सहारा देती है। जिसमें नदी किनारे रेत में तरबूज, खरबूज आदि की फसलें उगाने वाले लोग प्रमुख हैं। ऐसे ही पतलोन गांव में सन के रेशे निकालकर रस्सी बनाने का काम नदी के सहारे किया जाता है। हालांकि कुछ सामाजिक संगठनों द्वारा समय समय पर यहां सफाई जरूर कराई जाती है। लेकिन इन प्रयासों के साथ इस नदी को वास्तविक रूप में पुर्नजीवन प्रदान करने के लिए इसके उदगम से संरक्षण करने की जरूरत है जो बिना सरकारी सहायता के संभव नहीं है।

जिले में सहायक नदी पुर्नजीवन के लिए अभी राज्य स्तर से बारूरेवा नदी का चयन किया गया। शक् कर नदी भी जिले की प्रमुख सहायक नदियोंं में शामिल है लेकिन इसको अगली कार्ययोजना में शामिल किया जा सकता है।
अनिल पटैल, परियोजना अधिकारी वाटरशेड जिला पंचायत नरसिंहपुर

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