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मानव की प्रगति की जगह क्यों हो रही है दुर्गति, जानें कारण

locationनरसिंहपुरPublished: Jul 12, 2019 12:15:36 pm

Submitted by:

Sanjay Tiwari

मानव की प्रगति की जगह क्यों हो रही है दुर्गति, जानें कारण

Why is it misery the place of progress Human?

Why is it misery the place of progress Human?

करेली। आचार्य विद्यासागर महाराज के शिष्य मुनि विमलसागर महाराज, मुनि अनन्तसागर महाराज, मुनि धर्मसागर महाराज, मुनि अचलसागर महाराज और मुनि भावसागर महाराज ससंघ श्रीमहावीर दिगम्बर जैन मंदिर करेली में विराजमान हैं। यहां प्रतिदिन धर्म सभा का आयोजन किया जा रहा है।

धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि अनन्त सागर महाराज ने कहा कि जो लोग देर रात तक जागते हैं वे पुण्य कार्य तो करते नहीं होंगे और देर से उठ रहे हैं तो पुण्य कार्य नहीं कर पाते, ऐसे में आगामी जीवन में अच्छी गति मिलना सम्भव नहीं है। ऐसे में न धर्म बच रहा है और न स्वास्थ्य बच रहा है। आगामी काल मे आने वाले जीव पाप में लगे रहेंगे इसलिये सन्तों ने आगम की रचना की है। ऐसे में पुण्य का संचय करना बेहद जरूरी है। पुण्य रूपी कलेवा संग्रह नहीं किया तो आगामी पर्याय में पुण्य के अभाव में क्या दशा होगी, पुण्य और वर्तमान दोनों का पुण्य काम आता है। धर्म करने से पुण्य का संचय होता है। अगर उसका संचय करके आओगे तो अगली पर्याय में भी धर्म करने का साधन मिलेगा। वस्तुत: चातुर्मास तो साढ़े तीन माह का होता है पर जीवन परिवर्तन हो गया तो ही चातुर्मास सार्थक हो जाएगा। वैज्ञानिक साधनों से बचेंगे तो धर्म के काम में लग जायेंगे और स्वाध्याय, पूजन आदि पुण्य कार्य कर सकेंगे अन्यथा पाप कार्य में ही जीवन निकल जायेगा।

आचार्यश्री ने कहा था कि आज का युग प्रगति का नहीं बल्कि दुर्गति का है। कम्प्यूटर हो या मोबाइल हो, ये पाप को कराने वाले साधन हैं ये प्रगति नहीं दुर्गति के कारण हैं। ये साधन रात में जल्दी नहीं सोने देते और सुबह जल्दी नहीं उठने देते जिससे धर्म के साथ साथ सेहत भी खो रहे हैं लोग। दिन के 24 घंटे को भी बेहद संजीदगी से जीवन की खुशहाली के लिए बांटा गया है जिसमें 8 घंटे धर्म, 8 घंटे व्यवसाय और 8 घंटे घर गृहस्थी के लिये हैं । चातुर्मास मिला है तो इसे सार्थक कर लेना। ऐसे में चातुर्मास में संकल्प लेना अनिवार्य है । ऐसे में संकल्प लेकर ही कुछ कर सकेंगे । जिस आयु का बंध कर लो तो उसे भोगना ही पड़ेगा । मुनि भाव सागर महाराज ने कहा कि बच्चों को पूजन आदि के संस्कार नहीं दिए तो कल के दिन बच्चे भी आपके साथ अच्छा व्यवहार करना नहीं सीख पाएंगे। इसलिए बच्चों को पाठशाला मंदिर जरूर भेजें जिससे बच्चे धार्मिक वातावरण में कुछ अच्छा सीख सकें। मुनि विमल सागर महाराज के 9 से 11 जुलाई तक 3 उपवास हो चुके हैं यानि 90 घंटे से ज्यादा तक आहार जल ग्रहण नही ंकिया है। इसके पूर्व में भी छपारा में 6 उपवास लगातार और 4 उपवास लगातार और 2 उपवास एवं 1 आहार 1 उपवास की साधना भी मुनिश्री कर चुके हैं। ज्ञात हो कि दिगम्बर जैन साधु 24 घंटे में एक बार आहार और जल ग्रहण करते हैं।

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