जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल में ब्लैक फंगस से पीड़ित रजनी दुबे नाम की महिला की हालत गुरुवार को अत्याधिक बिगड़ गई थी। उनका आक्सीजन लेवल तेजी से गिर रहा था। अस्पताल के चिकित्सकों काफी कोशिश की कि हालत में सुधार हो जाए पर सारे प्रयास नाकाम साबित हुए और महिला को नहीं बचाया जा सका। वहीं 14 मई को ही एक नया मरीज सामने आया है, जिसकी हालत खराब होती देख उसे जबलपुर रेफर कर दिया गया है।
जानकारी के अनुसार करेली शहर के दो मरीज भी ब्लैक फंगस के कारण जबलपुर के निजी अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं। इनमें से एक संजय जैन भी हैं, जिनकी एक आंख इस फंगस के कारण खराब हो चुकी है। इसी तरह शहर के ही आशीष नेमा की हालत बेहद नाजुक है। वे जबलपुर हॉस्पिटल में इलाजरत हैं।
जिले में ब्लैक फंगस को लेकर स्थिति ये है कि इसकी दवाएं जिले भर में उपलब्ध नहीं हैं। सिविल सर्जन डॉ. अनीता अग्रवाल के अनुसार इस मर्ज का इलाज व इसकी दवाएं अत्याधिक महंगी भी हैं। इसका इलाज व दवाएं फिलहाल जबलपुर व भोपाल में ही संभव है। इसे देखते हुए प्रदेश सरकार के आदेशानुसार जिला अस्पताल में ब्लैक फंगस के मरीजों को अब जबलपुर या भोपाल ही भेजा जाएगा।
“ब्लैक फंगस की दवाएं जिले में उपलब्ध नहीं हैं। मरीज को समय पर दवा और इलाज मिल जाए इसके लिए उन्हें अब लक्षण मिलते ही जबलपुर-भोपाल रेफर किया जाएगा। इस फंगस का सबसे अधिक असर शुगर से ग्रस्त कोविड मरीजों पर हो रहा है। यदि मरीज को आंख के नीचे काला धब्बा आदि पड़ने लगे या आंखों में धुंधलापन आ जाए तो वह तत्काल चिकित्सक से परामर्श ले। समय रहते इसका इलाज संभव है।-डॉ. अनीता अग्रवाल, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल