जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने यह फैसला सुनाया है। बेंच ने दोनों टॉवर्स को गिराने की कीमत सुपरटेक (supertech emerald case) से वसूलने का आदेश भी दिया है। कोर्ट का कहना है कि टॉवर्स को गिराते वक्त दूसरी इमारतों की सुरक्षा का खास ध्यान रखा जाए। इसके लिए नोएडा अथॉरिटी विशेषज्ञों की मदद लें।
मामले में फैसला सुनाते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अनाधिकृत निर्माण में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। निर्माण के दौरान पर्यावरण और निवासियों की सुरक्षा पर भी विचार करना होगा, यह निर्माण सुरक्षा मानकों को कमजोर करता है। कोर्ट ने कहा कि जिन लोगों को रिफंड नहीं किया गया गया है उनको रिफंड दिया जाए।
बता दें कि 40-40 मंजिला इन सुपरटेक के टॉवर्स (supertech towers) में 1-1 हजार फ्लैट्स हैं। कोर्ट के मुताबिक ये टॉवर्स नियमों की अनदेखी करके बनने दिए गए। इसके साथ ही टावर में फ्लैट खरीदे वाले 1000 लोगों को दो महीने में पूरी रकम 12 फीसदी ब्याज के साथ लौटाने का आदेश दिया है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 11 अप्रैल, 2014 के फैसले के पक्ष और विपक्ष में घर खरीदारों की ओर से दायर कई अन्य याचिकाओं पर भी अपना फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने चार अगस्त को इन याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।