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मनरेगा में नहीं मिल रहा रोजगार, कार्यों की फाइलों पर प्रशासन की कुंडली!

locationबाड़मेरPublished: Feb 26, 2018 10:54:57 am

-बाड़मेर में कई गांवों में श्रमिक बेरोजगार, कलक्ट्रेट में लगे हैं फाइलों के ढेर
 

Barmer news

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बाड़मेर. जिले में अभावग्रस्त घोषित गांवों के लोगों के लिए मनरेगा के तहत इस वित्तीय वर्ष में रोजगार की सीमा 100 दिवस से बढाकर 150 कर दी गई है, लेकिन जिले में मनरेगा के कार्य स्वीकृत नहीं हो रहे है। इतना ही नहीं पिछले वर्ष के मुकाबले में इस वर्ष मनरेगा में रोजगार प्राप्त करने वालों की संख्या कम हुई है।
सरकार ने बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए मनरेगा शुरू की। लेकिन प्रशासनिक उदासिनता के चलते अधिकांश लोगों को फायदा नहीं मिल रहा है। जिले भर में मनरेगा के तहत कई काम तो बंद है। वहीं अधिकांश ग्राम पंचायतों की फाइलें प्रशासनिक स्वीकृति के लिए कलक्ट्रेट में अटकी हैं।
साढ़े पांच लाख जॉब कार्ड, सवा सात लाख श्रमिक
मनरेगा के तहत जिले भर में साढ़े पांच लाख जॉब कार्ड हैं। जिसमें सवा सात लाख श्रमिक हैं। लेकिन वर्तमान में 80 से 90 हजार श्रमिकों को ही नियमित रोजगार मिल रहा है। ऐसे कई श्रमिकों को रोजगार नहीं मिलने पर आस अधूरी है।
– पर्याप्त रोजगार नहीं मिल रहा
जिले भर की ग्राम पंचायतों में श्रमिकों को मनरेगा अधिनियम अनुसार 150 दिन का रोजागर देने के लिए पर्याप्त संख्या में कार्यों की वित्तीय स्वीकृतियां जिला स्तर पर समय पर मिलना जरूरी है। लेकिन यहां पर नहीं मिल रही हैं। – हनुमान बेनीवाल, अध्यक्ष, सरपंच संघ बायतु
– फाइलें स्वीकृति के लिए अटकी
नरेगा में काम स्वीकृत नहीं हो रहे है। कई ग्राम पंचायतों की फाइलें प्रशासनिक स्वीकृति के लिए अटकी हैं। ऐसे में बेरोजगारी बढ़ रही है। – कुमकुमकंवर, सरपंच, जैसिधर
गांव में लोग बेरोजगार
मनरेगा के कार्यो पर प्रशासनिक स्वीकृति नहीं मिल रही है। गांवों में बेरोजगारी बढ़ रही है। गरीब परिवारों की हालात खराब है। लेकिन यहां पर कोई सुनने वाला नहीं है। जनप्रतिनिधियों सहित अधिकारियों को बता दिया। – उगमसिंह राणीगांव, जिलाध्यक्ष सरपंच संघ बाड़मेर
– कोई फाइल पैंडिंग नहीं
मनरेगा के तहत जिले भर में काम स्वीकृत हैं। कोई फाइल पैंडिंग नहीं है। पुराने काम पूरे होने पर नए काम स्वीकृत होते हैं। – एमएल नेहरा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद, बाड़मेर
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