सिद्धू मूसेवाला की हत्या की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने गुरुवार को कहा कि मुख्य साजिशकर्ता जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई ने कबूल किया कि विक्की मिद्दुखेड़ा की हत्या का बदला लेने के लिए पिछले साल अगस्त में मारने की योजना बनाई गई थी। एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स के प्रमुख प्रमोद बान ने बताया कि इस मामले में अब तक 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
बलदेव और केकड़ा ने मूसेवाला की जानकारी शूटरों को दी-
एडीजीपी बान ने कहा कि शूटर 25 मई को मूसा गांव पहुंचे थे। पंजाब पहुंचने पर उन्हें कुछ हथियार मुहैया कराए गए। हत्या में एके सीरीज की राइफलों का इस्तेमाल किया गया। बान ने कहा कि आज हमने बलदेव उर्फ निक्कू को गिरफ्तार किया है, जो अपराध की रेकी करने में केकड़ा (संदीप सिंह) के साथ था। अब तक 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। निक्कू ने केकड़ा के साथ इलाके का मुआयना किया, मूसेवाला का पीछा किया और शूटरों को संकेत दिया।
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विक्की मिद्दुखेड़ा की हत्या में सिद्धू का नहीं था हाथ-
प्रमोद बान ने बताया कि लॉरेंस बिश्नोई ने पूछताछ के दौरान खुलासा किया कि हत्या की योजना पिछले साल शुरू हुई थी। उसने बरार, सचिन बिश्नोई (थापन) और उसके छोटे भाई अनमोल के साथ साजिश रचने की बात कबूल की है। हत्या से पहले कम से कम तीन रेकी की गई थी। जनवरी में, शूटरों के एक अन्य समूह ने मूसेवाला के घर का दौरा किया था। सिद्धू मूसेवाला की हत्या के पीछे का विक्की मिद्दुखेड़ा की हत्या का बदला लेना था। हालांकि हमारी जांच में मिद्दुखेड़ा की हत्या में मूसेवाला का हाथ सामने नहीं आया था। लॉरेंस गिरोह द्वारा उसकी हत्या में मूसेवाला की भूमिका के बारे में एक धारणा थी।
हत्या से पहले ही लॉरेंस ने अपने भाई और सहयोगी को विदेश भेज दिया-
अधिकारी बान ने बताया कि बिश्नोई ने अपने भाई अनमोल और अपने करीबी सहयोगी सचिन थापन को बचाने के लिए एक सुनियोजित साजिश में और खुद को एक आदर्श बहाना बनाया, ताकि वह और उसके सहयोगी अपराध से ना जुड़े। एडीजीपी ने कहा, “इस योजना को अंजाम देने के लिए उसने अपने भाई अनमोल बिश्नोई और सचिन थापन के फर्जी विवरणों पर पासपोर्ट हासिल किया और इस हत्या को अंजाम देने से पहले उन्हें देश से भगा दिया।
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एक समाचार एजेंसी ने पीसी में बाबत बताया कि अनमोल बिश्नोई का आपराधिक इतिहास रहा है और उसके खिलाफ 18 आपराधिक मामले दर्ज हैं। वह जोधपुर जेल में था, जहां से उसे 7 अक्टूबर 2021 को जमानत पर रिहा कर दिया गया था। उसने फर्जी विवरण के तहत अपना पासपोर्ट हासिल किया था। इसी तरह, लॉरेंस बिश्नोई के करीबी सहयोगी और 12 आपराधिक मामलों के साथ आपराधिक अतीत वाले सचिन थापन ने भी फर्जी विवरण के तहत आरपीओ दिल्ली द्वारा जारी पासपोर्ट प्राप्त करने में कामयाबी हासिल की।