जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने यह आदेश देते हुए कहा कि ऐसा नहीं है कि याचिकाकर्ता को पैसे की जरुरत है, बल्कि ये बातें लोगों के लिए बहुत मायने रखती हैं। याचिकाकर्ता राम औतार सिंह को अगस्त 1989 में डाकुओं को मारकर लोगों को बचाने के लिए वीरता पुरस्कार की घोषणा की गई थी लेकिन उसकी पालना नहीं हुई।
सिंह ने 2023 में घोषणा पर अमल के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो इसे बहुत पुराना मामला मानते हुए विचार नहीं किया गया तो वे सुप्रीम कोर्ट आए। सुप्रीम कोर्ट के नोटिस जारी करने पर उत्तर प्रदेश सरकार ने सिंह को प्रशस्ति पत्र दिया। अब शीर्ष अदालत ने उन्हें पांच लाख रुपए मानदेय देने का निर्देश दिया।