बच्चों के लिए भारत बायोटेक की कोवैक्सिन को मंजूरी मिलने और बाजार में पहुंचने से पहले ही बेंगलुरु के एक अस्पताल में इसके टीके लगाने का पोस्टर सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन को माफी मांगनी पड़ी।
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बेंगलुरु। बेंगलुरु के एक निजी अस्पताल के सामने उस वक्त एक बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई, जब इसका एक पोस्टर वायरल हो गया। अस्पताल के इस पोस्टर में 2 से 18 साल के बच्चों को कोरोना वायरस टीका (कोवैक्सिन) लगाने के अभियान की घोषणा की गई थी। बुधवार को यह पोस्टर कहीं से वायरल हो गया। हालांकि बाद में अस्पताल ने दावा किया कि उनकी मार्केटिंग टीम द्वारा बनाया गया पोस्टर गलती से इंटरनेट पर लीक हो गया और उन्होंने इस गलती के लिए माफी मांगी।
इस पोस्टर में लिखा था: “इंतजार खत्म हुआ। स्पर्श अस्पताल में बच्चों के लिए कोविड वैक्सीन अभियान। 2-18 वर्ष की आयु के लिए अब चालू।” इसके साथ ही पोस्टर में पंजीकरण के लिए एक फोन नंबर भी प्रदान किया गया था और एक वैक्सीन खुराक के लिए 1,200 रुपये कीमत भी लिखी हुई थी।
दरअसल, अभी तक ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) द्वारा बच्चों के लिए कोविड-19 टीके को मंजूरी नहीं दी गई है। मंगलवार को औषधि प्राधिकरण के विशेषज्ञ पैनल ने भारत बायोटेक की कोवैक्सिन को कुछ शर्तों के साथ 2 से 18 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चे और किशोरों को आपातकालीन इस्तेमाल के लिए देने की सिफारिश की थी।
जैसे ही यह पोस्टर वायरल हुआ, कई माता-पिता ने अस्पताल को फोन किया। हालांकि अस्पताल के अध्यक्ष डॉ. शरण एस पाटिल ने स्पष्ट किया कि मार्केटिंग टीम एक क्रिएटिव पर काम कर रही थी और यह अस्पताल के अंदर ही देखे जाने के दौरान लीक हो गया।
इस संबंध में छपी एक रिपोर्ट में कहा गया है, “यह लीक हो गया था। यह टीम के भीतर से किसी तरह बाहर चला गया और जब सब एक दूसरे पर दोषारोपण कर रहे थे, यह वायरल हो गया। इस पर कोई तारीख या कुछ भी नहीं है। इसे तब और उस वक्त जारी किया जाना था जब सरकार वैक्सीन को मंजूरी दे।” पाटिल ने यह भी कहा कि अस्पताल ने Covaxin के निर्माता भारत बायोटेक से संपर्क किया और अनजाने में हुई गलत के लिए माफी मांगी।
अगर DCGI से मंजूरी मिलती है, तो Zydus Cadila की बिना सुई वाली वैक्सीन ZyCoV-D के बाद Covaxin ऐसा दूसरा टीका होगा, जिसे 18 साल से कम उम्र के लोगों में COVID-19 से बचाव के लिए EUA प्राप्त होगा।