ऐसे संकेत हैं कि बुधवार को कश्मीर दौरे पर गए विपक्षी नेताओं की एक बार फिर प्रधानमंत्री के साथ बैठक होगी जिसमें वहां मिले सुझावों और रणनीति पर चर्चा होने के आसार हैं। अलगाववादियों की सुरक्षा में कटौती पर जानकारों का कहना है कि यह सरकार के लिए आसान नहीं है। सुरक्षा हटा सरकार कोई खतरा मोल नहीं ले सकती है।
अलगाववादियों की सुरक्षा और खर्चों का मामला काफी हद तक राज्य सरकार तय करती है। मौजूदा हालात में राज्य सरकार इसके मूड में नहीं है। पीडीपी प्रवक्ता फिरदौस के अनुसार सुरक्षा व्यस्था देने की एक प्रक्रिया है, जो राज्य सरकार तय करती है।
इसके लिए राज्य सरकार की अगुवाई में एक उच्चस्तरीय कमेटी बनी है, जिसमें राज्य सरकार के गृहमंत्रालय के सदस्यों के साथ सेना, आईबी और खुफिया एजेंसी राॅ के सदस्य होते हैं, जो अलगाववादियों या अन्य किसी भी नेता को आतंकियों से मिलने वाली धमकी की समीक्षा के बाद सुरक्षा व्यवस्था देते हैं। कश्मीर घाटी में ही यह सुरक्षा दी जाती है। कई नेताओं को यह सुविधा जम्मू में नहीं मिलती।