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देश की सभी मेट्रो ट्रेन घाटे में, जयपुर में नहीं थी मेट्रो की आवश्यकता

Metro Rail : आवास और शहरी मामलों पर 2022 की संसदीय स्थायी समिति ने मेट्रो ट्रेन को लेकर बड़ा खुलासा किया है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दिल्ली सहित देश की सभी मेट्रो नेटवर्क घाटे में चल रहे हैं।

नई दिल्लीMar 27, 2024 / 01:59 pm

Anand Mani Tripathi

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Metro Rail : आवास और शहरी मामलों पर 2022 की संसदीय स्थायी समिति ने मेट्रो ट्रेन को लेकर बड़ा खुलासा किया है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दिल्ली सहित देश की सभी मेट्रो नेटवर्क घाटे में चल रहे हैं। मेट्रो के पास पर्याप्त यात्री भार ही नहीं है। फिर भी नए प्रोजेक्ट लॉन्च हो रहे हैं। इसमें कहा गया है कि मंत्रालय का 45 फीसदी बजट महानगरों के लिए रखा गया है। 2018 नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 तक जयपुर में मेट्रो रेलवे की आवश्यकता नहीं थी। लेकिन इसके बावजूद भारत के शहरों में लगातार मेट्रो रेल प्रोजेक्ट शुरू किए जा रहे हैं।

ताजा उदाहरण आगरा का है। यहां पिछले महीने ही भारत की 21वीं मेट्रो लाइन शुरू की गई है। फिलहाल इसकी 5.3 किमी लंबी लाइन शुरू की गई है और आगे इसका विस्तार 8 किमी तक और किया जाना है। इसके अलावा सेकेंड लाइन भी शुरू की जानी है जो कि 15.5 किमी की होगी। वहीं, जयपुर मेट्रो 2025 में शुरू होने के बाद अभी भी 12 किमी तक ही सीमित है। इस पर जयपुर निवासी गर्व भले ही कर लें, पर अब भी यह यात्रियों के लिए मोहताज है और हर साल इसके कारण सरकार को कई सौ करोड़ का घाटा हो रहा है।

भारत में इस तरह हो रहा मेट्रो लाइन का विस्तार
भारत में 2014 229 किमी का मेट्रो रेल नेटवर्क था, जो अप्रैल 2023 तक 870 किमी तक हो गया था। 2025 तक यह नेटवर्क 1700 किमी तक हो जाएगा। लेकिन इस विस्तार के साथ ही इसमें बैठने वाले यात्रियों की संख्या उतनी तेजी से नहीं बढ़ रही और न ही इससे स्थानीय व्यापार में बढ़ोतरी के अवसर पैदा हो रहे हैं। आइआइटी दिल्ली के एक हालिया अध्ययन के अनुसार, भारत के सभी मेट्रो नेटवर्क अपनी अपेक्षित सवारी संख्या के 50 फीसदी क्षमता पर ही चल रहे हैं।

मेट्रो के फायदे
पर मेट्रो के पक्षधर मेट्रो प्रणाली से होने वाले अप्रत्यक्ष लाभ की ओर इशारा करते हैं। वह मेट्रो रेल प्रणाली को शहरी भारत के सार्वजनिक परिवहन में एक क्रांति बताते हैं। इससे जनता के लिए सुरक्षित, तेज़, विश्वसनीय, पर्यावरण-अनुकूल जैसा परिवहन मिलता हैं।

टियर टू और टियर थ्री शहरों में मेट्रो की राह मुश्किल
जानकारों के अनुसार, छोटे शहरों में अधिकांश कामगार चार से पांच किमी दूर तक ही काम के लिए जाते हैं। ऐसे में उनके लिए मेट्रो की उपयोगिता सीमित हो जाती है। ऐसे लोग रोजमर्रा के लिए तो अपने निजी वाहन का ही इस्तेमाल करते हैं।

दिल्ली में है सबसे बड़ा नेटवर्क
भारत में मेट्रो का सबसे बड़ा नेटवर्क दिल्ली में ही हो सका है। यहां 340 किमी तक मेट्रो लाइन ऑपरेशनल हो चुकी है। जबकि बेंगलूरु में 70 किमी, अहमदाबाद में 37, हैदारबाद में 65 और चेन्नई तथा कोलकाता में 54 किमी और 46 किमी तक मेट्रो का विस्तार हो चुका है। लेकिन 2015 में शुरू होने वाली जयपुर मेट्रो का विस्तार अब भी 11.98 किमी तक ही सीमित बना हुआ है। पुणे में भी मेट्रो लाइन फिलहाल 12 किमी तक ही सीमित है। हालांकि यहां मेट्रो की शुरुआत 6 मार्च 2022 में हुई थी।
तथ्य
1. पिछले पांच सालों में भारत सरकार ने विभिन्न मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के लिए 98547.15 करोड़ रुपए जारी किए।
2. जयपुर मेट्रो 35 से 40 मिनट में पहुंचाती है 12 किमी
3. दिल्ली मेट्रो के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर हुए हैं सबसे अधिक 70433 करोड़ खर्च

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