script‘गंगा-जमुनी तहजीब’ का चेहरा बना ये मुस्लिम शख्स | Allahabad: 49 years old Abdul Hafeez one of the finest examples of Ganga-Jamuni tehzeeb | Patrika News

‘गंगा-जमुनी तहजीब’ का चेहरा बना ये मुस्लिम शख्स

Published: Jan 27, 2016 10:35:00 am

यूपी के इलाहाबाद में 69 साल के अब्दुल हाफिज पिछले 49 साल से भारत की
‘गंगा-जमुनी तहजीब’ का शानदार उदाहरण पेश करके दूसरों के लिए प्रेरणा का
स्त्रोत बने हुए हैं।

यूपी के इलाहाबाद में 69 साल के अब्दुल हाफिज पिछले 49 साल से भारत की ‘गंगा-जमुनी तहजीब’ का शानदार उदाहरण पेश करके दूसरों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बने हुए हैं। हाफिज पांच वक्त की नमाज अदा करने के साथ ही संगम में माघ मेला, कुंभ और अर्द्धकुंभ मेले सहित हर मौके पर गंगा में डूबकी लगाते हैं। हाफिज की 1967 में इलाहाबाद के मेले में बतौर हेल्थ वॉलियंटर ड्यूटी लगी थी, उसके बाद से गंगा के किनारे उनके लिए दूसरा घर बन गये हैं। विभाग भी हर बड़े सामारोह माघ मेला, कुंभ और अर्द्धकुंभ मेले में उनकी ड्यूटी लगाते आ रहा है। उनके रिटायरमेंट के नौ साल बाद भी विभाग में ड्यूटी के लिए वह सबसे पहली पसंद बने हुए हैं।

मेले में धर्मज्ञान
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक मेला कैम्पस में चहेते चेहरे बने रहने वाले हाफिज हर बार पूरे महीने गंगा के किनारों पर ही रहते हैं। इस दौरान न केवल वे हेल्थ सर्विस देते हैं, बल्कि वे लोगों को माघ मेले में गंगा में डूबकी लगाने के महत्व के बारे में भी बताते हैं। वे लोगों को बताते है कि किस तरह में गंगा में डूबकी लगाने से मोक्ष मिलता है। हाफिज का कहना है कि हम में से ज्यादात्तर लोगों को नहीं पता कि गंगा स्नान का क्या महत्व है और किस तरीके से गंगा स्नान करना चाहिए? अखबार से बात करते हुए हाफिज ने बताया कि मैं श्रदालुओं और तीर्थयात्रियों को गंगा स्नान के बारे में बताता हूं कि माघ महीने में इसका क्या महत्व है? इसके साथ ही उन्हें यह भी बताता हूं कि व्यक्तिगत जिंदगी में नदी का क्या महत्व है?

रिटायरमेंट के बाद भी सेवा
हाफिज रिटायरमेंट के बाद भी विभाग में बतौर हेल्थ सुपरवाइजर काम कर रहे हैं। करीब 50 साल नौकरी करने के बाद हाफिज को यह अच्छे से पता है कि इतने बड़े स्तर के समारोह में किस तरह से मेडिकल सुविधाएं दी जानी चाहिएं। हाफिज बताते हैं कि साल 2006 में रिटायरमेंट के बाद भी मेरा विभाग श्रदालुओं की सेवा करने की मेरी इच्छा पूरी कर रहा है। हर साल संगम पर मेरी ड्यूटी लगाई जाती है। हाफिज को इसके लिए राज्य सरकार ने 2001 में सम्मानित भी किया था।

मेले में नमाज और स्नान
मेले के दौरान हाफिज पांचों वक्त की नमाज भी अदा करते हैं और हर स्नान वाले दिन वे गंगा में डूबकी भी लगाते हैं। वे कहते हैं कि पूरे माघ महीने में गंगा किनारे रहने वाले लोगों की सेवा करके मुझे बहुत आनंद मिलता है। इंसान की सेवा से बड़कर कोई ड्यूटी नहीं है।
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