दमदार, चीते के से पुट्ठों वाले इस स्टाइलिश अभिनेता का एक्शन, संवाद अदायगी और डांस आदि अलहदा हैं। कॉमिक सेंस दक्षिण वाले चातुर्य से भरा है। भावना की अभिव्यक्ति सटीक है। यानी, हिंदी मसाला फिल्मों के लिए एक सम्पूर्ण, किंतु एक नवीन पैकेज हैं अल्लू। सुना गया है कि बॉलीवुड के दिग्गज फिल्म निर्मााता दिल में अर्जुन को कास्ट करने का अरमान लिए घूम रहे हैं।
सलमान की ‘वांटेड’ और ‘दबंग’ इसलिए खासी लोकप्रिय रहीं कि हीरो ने वक्त-वक्त पर, बुराई मिटाने को खलनायक की खाल ओढऩे में भी गुरेज नहीं किया और दर्शक इस अदा पर फिदा हुए। अल्लू अर्जुन सलमान के पैटर्न की ही फिल्में करते हैं और उनके सिंहासन को हिला सकने का दम रखते हैं।
त्रिविक्रम श्रीनिवास की ‘वैंकुटा पुरुमुलु’ एक ब्लॉकबस्टर फिल्म रही है, जिसके जरिए अल्लू अर्जुन 26 जनवरी को फिर हिंदी दर्शकों के समक्ष भी तहलका मचाने आ रहे हैं। यह फिल्म भगवान विष्णु की ‘गजेंद्र मोक्ष’ वाली कहानी पर आधारित है।
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त्रिविक्रम श्री निवास, हरीश शंकर, सुकुमार जैसे निष्णात मसाला फिल्म निर्देशक अल्लू की प्रतिभा के अंश-अंश का दोहन करने में माहिर हैं। ये निर्देशक फिल्मों को नई ऊंचाइयां देने की दक्षिणी परंपरा को पूरा निभा रहे हैं। आप यू ट्यूब पर अल्लू की फिल्म ‘डीज’ के व्यूज देखेंगे, तो आंखें फटी रह जाएंगी।
वर्ष 1982 में जन्मे , 5 फिल्म फेयर, 5 नंदी पुरस्कार विजेता, फोब्र्स की सौ सेलिब्रिटी लिस्ट में शुमार हो चुके, फिल्मी परिवार के अल्लू को हिंदी की समझ है। दर्शकों को उस दिन का इंतजार है, जब खुद उनकी बोली में हिंदी के संवाद गूंजेंगे।
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एक खास तत्व होता है, जो किसी एक्टर को सुपर सितारा बनाता है। अल्लू अर्जुन का विकाररहित, निरपेक्ष-सा भाव , उनकी मर्दानगी वाली चाल-ढाल, युवा वर्ग – विशेषकर लड़कियों में लोकप्रियता जैसे कारकों से भी ऊपर उठ कर देखें, तो उनका सबसे अलहदा पहलू है कि वे हर दृश्य में ‘क्रेडिबल’ नजर आते हैं। वे जैसे आत्मा की ओट में छिप कर बैठे मालूम होते हैं, जहां शस्त्र-हवा-पानी-आग उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाते हों। यह विश्वास एक समय तक अमिताभ बच्चन पैदा करते रहे थे। हिंदी सिनेमा का पिच तैयार है, जहां एक लम्बी पारी खेलने आएंगे – अल्लू अर्जुन।