सेना प्रमुख द्वारा सम्मानित किए जाने के एक दिन बाद 53 राष्ट्रीय राइफल्स के गोगोई ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि मैंने फारूक डार को जीप के बोनट पर इसलिए बांधा ताकि स्थानीय लोगों की जानें बचाई जा सकें।
घाटी में 9 अप्रैल को उपचुनाव के दिन के याद करते हुए गोगोई ने कहा कि अगर मैंने गोलीबारी की अनुमति दी होती, तो कई लोगों की जानें जातीं। मानव ढाल के रूप में जीप के बोनट पर बंधे डार की एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी, जिसकी चौतरफ निंदा हुई थी।
घटनाक्रम का ब्योरा देते हुए उन्होंने कहा कि मुझे इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) के एक कर्मी का कॉल आया कि बांदीपोरा में एक मतदान केंद्र के बाहर 400-500 लोगों की भीड़ जमा है और पथराव कर मतदानकर्मियों को जख्मी कर रहे हैं।
जिसके बाद मैं वहां 30 मिनट के अंदर पहुंच गया, और बाद में मैंने और मेरे जवानों ने हालात को नियंत्रण में लाया। लेकिन सुबह 10.30 बजे के आसपास एक बार फिर मुझे डिस्ट्रेस कॉल आया, जिसमें कहा गया कि उतलिगाम में करीब 1,200 लोग पथराव कर रहे हैं और पेट्रोल बम भी फेंक रहे हैं। राष्ट्रीय राइफल्स के अधिकारी ने कहा कि वक्त जाया किए बिना हम उतलिगाम के लिए निकल पड़े, जो वहां से 1.5 किलोमीटर की दूरी पर था।
उन्होंने कहा कि घटनास्थल पर पहुंचने के बाद वह अपने वाहन से निकलने में सक्षम नहीं थे। वहीं इस मामले में गोगोई के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने वाली जम्मू एवं कश्मीर पुलिस ने कहा कि मामले की जांच जारी रहेगी।
गोगोई ने कहा कि उन्होंने भीड़ से पथराव न करने की बार-बार अपील की, लेकिन वे नहीं माने। उसके बाद उन्होंने फारूक डार को देखा, जो वाहन से मात्र 30 मीटर की दूरी पर खड़ा था। जिसके बाद उन्होंने अपने क्विक रिएक्शन टीम के जवानों को उसे पकडऩे के लिए कहा। जब जवान उसकी ओर बढ़े, तो वह भीड़ की तरफ भागने लगा और घटना स्थल से भागने के एक मोटरसाइकिल का सहारा लिया। गोगोई ने कहा कि डार कश्मीर के बडगाम का निवासी है।
उन्होंने कहा कि जवान डार को पकडऩे में कामयाब रहे और उसे मतदान केंद्र के अंदर ले गए। अधिकारी ने कहा कि लेकिन एक मस्जिद से घोषणा होने के तुरंत बाद और अधिक संख्या में लोग मतदान केंद्र के बाहर जमा हो गए। उन्होंने हम पर पेट्रोल बम फेंकना शुरू कर दिया।
गोगाई ने कहा कि इसके बाद जब वह वहां से निकल पाने में अक्षम रहें तो उन्होंने मेगा-माइक से डार को जीप के बोनट से बांधने की घोषणा की, जिसके बाद पथराव बंद हो गया और हमें वहां से बाहर निकलने का समय मिल गया और अपने वाहन में जा बैठे।