3. बोली जाती हैं 30 भाषाएं
अरुणाचल प्रदेश भारत का ऐसा राज्य है, जो भाषाओं के मामले में सबसे खास है। यहां वांचो, तागिन, डाफिया जैसी 30 भाषाएं बोली जाती हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है। इसके साथ ही कुछ लोग चीनी भाषा भी बोलते हैं क्योंकि यहां से चीनी बॉर्डर जुड़ी हुई है।
4. सबसे लंबी अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर
अरुणाचल प्रदेश में सबसे लंबी इंटरनेशनल बॉर्डर है। इसकी सीमा 1603 किलोमीटर लंबी है। ये बॉर्डर तीन सीमावर्ती देशों चीन, म्यानमार और भूटान से जुड़ी हुई है। यही वजह है कि प्रदेश में काफी मिक्स कल्चर के लोग मिलते हैं।

5. दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मॉनेस्ट्री यहां
अरुणाचल प्रदेश का सबसे लोकप्रिय टूरिस्ट डेस्टिनेशन Tawang है। यहां 400 साल पुरानी Tawang मॉनेस्ट्री है। खास बात यह है कि इसे दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मॉनेस्ट्री भी कहा जाता है। इससे बड़ी सिर्फ तिबत की Potala Palace है।
6. पूर्वोत्तर का सबसे बड़ा राज्य
अरुणाचल प्रदेश 7 sisters यानी सभी नॉर्थ ईस्ट में सबसे बड़ा राज्य है। ये 83,743 स्क्वेयर किलोमीटर लंबा है और यहां के रास्ते इतने खूबसूरत और साफ हैं कि यहां जाकर आपको लगेगा कि आप स्विट्जरलैंड या फिनलैंड में घूम रहे हैं।
7. भारतीयों को भी परमिटम की जरूरत
भारत के इस राज्य में 200 से ज्यादा स्तनधारियों की प्रजाती मिलती है जो भारत में कहीं भी और नहीं हैं। लेकिन इसके साथ ही इस राज्य में प्रवेश के लिए भारतीयों को भी परमिट की जरूरत पड़ती है। दरअसल यहां बहुत सारी प्रजातियां हैं और स्तनधारियों और वन्यजीवों को सुरक्षित रखना है।
यही वजह है कि यहां आने के लिए सिर्फ विदेशी टूरिस्ट को ही नहीं बल्कि यहां के कई इलाकों में जाने के लिए भारतीय टूरिस्ट को भी परमिट लगता है। यहां पर भारतीय टूरिस्ट को Inner Line Permit (ILP) लेना होता है।
8. कई जनजातियां
जिस तरह से यहां कई भाषाएं बोली जाती हैं उसी तरह यहां जनजातियां भी बहुत हैं। यहां 26 मुख्य जनजातियां और उनके अंतरगत 100 से भी ज्यादा छोटी जनजातियां शामिल हैं। भाषाओं के साथ इतनी सारी जनजातियां इस राज्यों को और अनोखा बनाती है।

9. भारत का सबसे लंबा नदी वाला ब्रिज
अरुणाचल प्रदेश और असम को जोड़ता हुआ ढोला-सादिया ब्रिज है। ये ब्रिज ब्रह्मपुत्र नदी पर बना हुआ है। ये ब्रिज 9.15 किलोमीटर लंबा है। इस ब्रिज की लंबाई की वजह से इसे पिकनिक स्पॉट के तौर पर भी विकसित किया गया है।
यहां जो मंदिर बने हुए हैं उनमें से कुछ सदियों पुराने हैं। Malinthan के मंदिर 10वीं सदी के माने जाते हैं, जो लोगों की आस्था का प्रतीक हैं। यहां लोककथा के अनुसार द्वारका नगरी जाते समय कृष्ण और रुकमणी ने यहां विश्राम किया था। इसलिए ये स्थान भी प्रसिद्ध है।