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Delhi Ordinance: केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ अरविंद केजरीवाल को मिला ममता बनर्जी का साथ

locationनई दिल्लीPublished: May 24, 2023 07:18:29 am

Submitted by:

Paritosh Shahi

Arvind Kejriwal Meets Mamata Banerjee : आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण पर अध्यादेश को लेकर केंद्र के खिलाफ लड़ाई में विपक्षी दलों का समर्थन हासिल करने की कोशिश में लगे हैं। इसी कड़ी में आज केजरीवाल ने ममता बनर्जी से मुलाकात की।
 

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Arvind Kejriwal Meets Mamata Banerjee : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। दिल्ली में एलजी के साथ अधिकार के मुद्दे पर चल रही केजरीवाल की लड़ाई SC के फैसले के बाद काफी हद तक उनके पक्ष में चली गई थी। लेकिन केंद्र के अध्यादेश के बाद एक बार फिर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को अपनी हार नजर आ रही है। केजरीवाल की अगुवाई वाली आप, केंद्र सरकार के इस कदम से काफी भड़क गई थी। केंद्र सरकार के अध्यादेश को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से आज (23 मई) को मुलाकात की। केंद्र के साथ चल रही इस तनातनी में वे कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को दिल्ली की सत्ता से बाहर रखने के अपने एजेंडे को भी सफल बनाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। ममता बनर्जी से केजरीवाल मुलाकात को भी इसी कड़ी का अहम हिस्सा माना जा रहा है।


मीटिंग के बाद क्या बयान आया

मुलाकात के बाद आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जहां बीजेपी की सरकार नहीं होती, वहां एलजी के जरिए शासन चलाया जाता है। केजरीवाल ने दावा किया कि हमारी सरकार को मोदी सरकार काम नहीं करने दे रही है।जनता से जुड़े कोई काम बीजेपी हमें नहीं करने दे रही है।ऐसे में इस अहंकारी केंद्र सरकार को हटाना जरूरी हो गया है।

उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार ने हमारी सारी शक्तियां छीन ली है। यह लोग सीबीआई का मनमाना इस्तेमाल करके देश भर में विपक्ष की सरकारों को परेशान करने का काम कर रहे हैं। वहीं ममता बनर्जी ने कहा कि दिल्ली सरकार के खिलाफ केंद्र के लाए गए अध्यादेश का TMC विरोध करेगी। हम इस मुद्दे पर सभी दलों से साथ आने की अपील करते हैं।

इसलिए इतना दौड़ भाग कर रहे हैं केजरीवाल

केजरीवाल को पता है कि लोकसभा में बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए आसानी से इसे पास करा लेगी, क्यूंकि यहां इनके पास पर्याप्त बहुमत है। लेकिन राज्यसभा में एनडीए के पास बहुमत नहीं है। यहां एनडीए के पास 110 समर्थन है, ऐसे में बीजेपी को इस अध्यादेश को पास कराने के लिए एनडीए के अलावा अन्य सदस्यों की जरूरत भी पड़ेगी।

इसीलिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पूरी कोशिश कर रहे हैं कि केंद्र सरकार इस अध्यादेश को राज्यसभा में पास नहीं करा पाए। इसके लिए विपक्षी पार्टियों को एकजुट कर रहे हैं। इस कड़ी में वो विपक्ष के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं और इस अध्यादेश के खिलाफ उनकी पार्टी को सपोर्ट देने की बात कर रहे हैं।

नीतीश कुमार ने केजरीवाल को समर्थन दिया

अरविंद केजरीवाल को अध्यादेश को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का साथ मिला है। केजरीवाल से इन दोनों नेताओं ने रविवार को मुलाकात की थी। नीतीश ने अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दलों से एकजुट होने की अपील की है। केजरीवाल के लिए यह बड़ी राहत की बात है।

आज ममता का समर्थन भी इन्हें मिल गया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने केजरीवाल को हर तरह से समर्थन देने की बात कही है। इसके बाद वो 24 मई को मुंबई में उद्धव ठाकरे से मिलेंगे। इसके बाद 25 मई गुरुवार को शरद पवार से मुलाकात करेंगे।

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आप को मिल चुका है कांग्रेस का साथ

अध्यादेश कानून बनाने से रोकने के लिए सोमवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा कि हमारी पार्टी दिल्ली सरकार के अधिकारों पर सुप्रीम कोर्ट के पीठ के पक्ष में है। साथ ही उन्होंने मोदी सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि केंद्र सरकार को भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करना चाहिए। आनंद शर्मा का यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब खड़गे के आवास पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से मुलाकात की।

माना जा रहा है कि सीएम नीतीश ने इस बैठक के दौरान दिल्ली में बीजेपी और आप के बीच जारी खींचतान और केंद्र के अध्यादेश पर भी चर्चा की। आम आदमी पार्टी से गठबंधन को लेकर खरगे ने नीतीश कुमार से बात की है। साथ ही खड़गे ने नीतीश को आश्वासन दिया है कि वे दिल्ली और पंजाब की इकाइयों से बात कर कोई फैसला ले सकते हैं।

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पूरा मामला जानिए

हाल ही SC ने कहा था कि दिल्ली में काम कर रहे अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग करने का अधिकार केजरीवाल सरकार के पास है। इसको लेकर केंद्र सरकार भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) और ग्रेड ए कैडर के अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ प्रशासनिक कार्यवाही के लिए राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण गठित करने के वास्ते 19 मई को अध्यादेश लेकर आई थी।

बता दें कि, किसी अध्यादेश को छह महीने के भीतर संसद की मंजूरी मिलना आवश्यक होता है। अब माना जा रहा है कि केंद्र सरकार संसद के मानसून सत्र में इस अध्यादेश से संबंधित विधेयक पेश कर सकती है। जहां लोकसभा में तो इनके पास पर्याप्त बहुमत है लेकिन राज्यसभा में मामला अटक सकता है। फिर देखना दिलचस्प होगा की इस लड़ाई में जीत किसकी होती है ।

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