सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई करते हुए सीबीआई की उस अर्जी पर यह बात कही है जिसमें सभी नेताओं के खिलाफ टेक्निकल ग्राउंड पर आरोप खारिज करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर अपील दाखिल हुई है। ऐसी ही एक अपील बाबरी मामले में पक्षकार हाजी महबूब की तरफ से भी दायर की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी केस की सुनवाई में देरी पर भी चिंता जताई है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि रायबरेली और लखनऊ में मामलों की अलग-अलग सुनवाई के बजाए एक साथ लखनऊ की विशेष अदालत में ट्रायल चल सकता है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में 22 मार्च को अहम सुनवाई होगी।
क्या है पूरा मामला? अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद को वीएचपी और बजरंग दल के नेताओं के उकसावे पर गिरा दिया गया था। इस मामले में अलग-अलग एफआईआर में दो अलग चार्जशीट दाखिल की गयी थी।
एक चार्जशीट में 120 बी यानी आपराधिक साजिश से संबंधित धारा नहीं लगायी गई थी। सभी आरोपी बीजेपी नेताओं ने इसी को आधार बनाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट से राहत हासिल कर ली थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लखनऊ और रायबरेली में चल रहे दोनों मामलों को एक साथ सुना जाना चाहिए। लालकृष्ण आडवाणी की तरफ से इसका विरोध करते हुए दलील दी गई कि इस मामले में 183 गवाहों को फिर से बुलाना पड़ेगा जो काफी मुश्किल है।
आडवाणी की तरफ से कहा गया कि कोर्ट को आपराधिक साजिश के मामले की दोबारा सुनवाई के आदेश नहीं देने चाहिए। सीबीआई ने कहा कि वह दोनों मामलों के एक साथ ट्रायल के लिए तैयार है।
20 मई 2010 के आदेश के खिलाफ अपील बाबरी विध्वंस मामले में आडवाणी के अलावा, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और बीजेपी, विहिप कई नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने के आरोप हटाए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट में आडवाणी समेत 13 आरोपियों से साजिश रचने के आरोप हटाए जाने के खिलाफ अपील दायर की गई थी। जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट के 20 मई 2010 के आदेश को खारिज करने की मांग की गई है।