दरअसल, निशातपुरा थाना पुलिस ने पिछले 9 फरवरी की रात एक छापेमारी कर सेक्स रैकेट का भांडाफोड़ किया था। और देह व्यपार में शामिल 5 महिला, 11 लोगों और 2 दलाल को गिरफ्तार किया था। जिसके बाद सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया। जहां अदालत ने सभी को भोपाल सेंट्रल जेल न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
जिसके बाद सेक्स रैकेट में पकड़ी गई महिलाओं का जेल में आने के बाद मेडिकल टेस्ट कराया। इसमें प्रेग्नेंसी टेस्ट भी शामिल था। मेडिकल रिपोर्ट में सभी महिलाओं की निगेटिव आई। इन महिलाओं में एक पंजाब की महिला भी थी, जो कि एक महीने पहले ही भोपाल आई थी।
फिर जेल में रूटीन प्रक्रिया के तहत एक महीने बाद मेडिकल टेस्ट कराया गया। जिसमें पंजाब से आई महिला की प्रेग्नेंसी रिपोर्ट पॉजिटिव निकली। जिसके बाद उसका गर्भपात कराया गया। तो वहीं इस मामले के बाद जेल प्रबंधन के काम पर सवाल उठने लगे। इस मामले पर जेल के अधीक्षक दिनेश नरगावे का कहना है कि डॉक्टरों के मुताबिक कभी-कभी प्रेंग्नेंसी की जांच में ऐसा हो जाता है। तो वहीं महिला कैदी नहीं चाहती थी कि वो इस बच्चे को जन्म दे। इसे देखते हुए महिला कैदी की सहमति पर जिला कोर्ट में उसके गर्भपात को लेकर आवेदन किया गया। जिसके बाद कोर्ट के निर्देशनुसार महिला का अस्पताल में अबॉर्शन हुआ।