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बिहार में जातीय जनगणना पर जारी रहेगी रोक, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की नीतीश सरकार की याचिका

locationनई दिल्लीPublished: May 18, 2023 03:04:25 pm

Submitted by:

Prabhanshu Ranjan

Supreme Court on Bihar Caste Based Survey: बिहार में जातीय जनगणना पर रोक बरकरार रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पटना हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका को खारीज कर दिया है।

बिहार में जातीय जनगणना पर जारी रहेगी रोक, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

बिहार में जातीय जनगणना पर जारी रहेगी रोक, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

Supreme Court on Caste Survey: बिहार सरकार ने बीते दिनों एक बड़ा ऐतिहासिक फैसला लेते हुए राज्य में जाति आधारित जनगणना कराने का निर्णय लिया था। सरकार का दावा था कि जाति आधारित जनगणना से राज्य में विकास आधारित योजनाओं को बनाने और उन्हें अमल में लाने में मदद मिलेगी। लोगों का विकास सच्चे अर्थों में हो सकेगा। लेकिन नीतीश सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना को तब झटका लगा जब पटना हाईकोर्ट ने जाति आधारित जनगणना पर रोक लगा दी। हाई कोर्ट द्वारा इस मामले में रोक लगाए जाने के बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। लेकिन अब सर्वोच्च अदालत से भी राज्य सरकार को निराशा हाथ लगी है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने जाति आधारित जनगणना पर दाखिल राज्य सरकार की याचिका को खारिज कर दिया।



14 जुलाई को हाई कोर्ट में होगी सुनवाई

दरअसल बिहार सरकार ने जाति आधारित सर्वे पर पटना हाई कोर्ट की अंतरिम रोक को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी थी। जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इंकार कर दिया। कोर्ट ने कहा, 14 जुलाई को हाई कोर्ट मामले को सुने। हाई कोर्ट ने सर्वे को प्रथमदृष्टया असंवैधानिक मानते हुए अंतरिम रोक लगाई है। इसके खिलाफ बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट आई थी।


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हाई कोर्ट नहीं सुने तो हमारे पास आईएः सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हाई कोर्ट ने कुछ आपत्तियां दर्ज की हैं। बेहतर है पहले वहीं सुनवाई हो। अगर अगली तारीख में हाई कोर्ट इसे नहीं सुनता, तब हमारे सामने मामला रखें। इसके पहले बुधवार (17 मई) को जस्टिस संजय करोल ने खुद को अलग कर लेने के चलते सुनवाई नहीं हो सकी थी।

गुरुवार को जस्टिस अभय ओक और जस्टिस राजेश बिंदल की कोर्ट में इसकी सुनवाई हुई। जिसमें सरकार की याचिका को खारिज करते हुए कहा गया कि इस मामले की सुनवाई हाई कोर्ट में ही हो।

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