खास बात यह है कि तेजस्वी के लिए मंच पर पहले कुर्सी और नेम प्लेट रखी गई थी। फिर नेम प्लेट को नीले रंग के पेपर से ढक दिया और बाद में हटा दिया गया। मीडिया खबरों के अनुसार भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे तेजस्वी के साथ मुख्यमंत्री की एक मंच पर मौजूदगी को लेकर नीतीश और जेडीयू की आपत्ति के मद्देनजर तेजस्वी ने यह फैसला लिया है।
लालू ने तेजस्वी के इस्तीफे से किया इंकारलालू प्रसाद यादव ने साफतौर पर कह दिया है कि तेजस्वी यादव किसी भी सूरत में इस्तीफा नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि तेजस्वी को जनता ने जिताया है, इस्तीफे का कोई सवाल ही नहीं उठता है। ऐसे में शनिवार को जदयू द्वारा राजद को दी गई मियाद भी खत्म हो रही है। लिहाजा सभी की नजरें
नीतीश कुमार पर टिकी हैं कि वह अब क्या फैसला लेते हैं। बहरहाल, राजनीतिक जानकार बिहार की राजनीति में हो रही उथलपुथल पर इतना जरूर कह रहे हैं कि महागठबंधन पर गहरा संकट छाया है, जिसका बचा रहना मुश्किल है।
80 विधायकों वाले बयान पर जेडीय ने कहा- तेजस्वी पर आरजेडी दे सफाई इससे पहले, जेडीयू ने शुक्रवार को आरजेडी पर दबाव बढ़ाते हुए कहा था कि 80 विधायक होने का घमंड दिखाने के बजाय वह उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर आरोपों को लेकर खुद को पाक-साफ साबित करे। आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी को सीबीआई ने होटलों के लिए जमीन घोटाले की जांच में नामजद किया है।
प्रदेश जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि 80 विधायकों का घमंड दिखाने वाली आरजेडी को यह नहीं भूलना चाहिए कि वह 2010 के प्रदेश चुनावों में 22 विधायकों पर आ गई थी और 2015 के चुनावों में गठबंधन प्रमुख के रूप में
नीतीश कुमार के विश्वसनीय चेहरे के कारण इस संख्या में बढ़ोतरी हुई थी।