बिहार के मुजफ्फरपुर आई हास्पिटल में एक डॉक्टर ने 65 मरीजों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन कर दिया जिससे कई मरीजों की रोशनी चली गई। इस अस्पताल के खिलाफ FIR दर्ज कराई गई है, जबकि तीन सदस्यों की कमिटी मामले की जांच कर रही है।
बिहार के मुजफ्फरपुर में एक निजी अस्पताल में बड़ी लापरवाही देखने को मिली है। आँखों की रोशनी के लिए अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचे मरीजों को एक डॉक्टर की लापरवाही के कारण आँख ही गँवानी पड़ी है। जहां एक दिन में डॉक्टर 12 मरीजों का ऑपरेशन करते हैं, यहाँ एक डॉक्टर ने एक दिन में 65 मरीजों का ऑपरेशन कर दिया।
इस अस्पताल के खिलाफ FIR दर्ज कराई गई है, जबकि तीन सदस्यों की कमिटी मामले की जांच कर रही है। आम लोगों की आँख छीनने वाले इस अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर को भी सील कर दिया गया है। मानवाधिकार आयोग ने भी इसपर संज्ञान लिया है।
इस ऑपरेशन के कारण अब तक 24 लोगों की आँखों की रोशनी जा चुकी है जबकि 16 लोगों को एक आँख निकलवानी पड़ी है। अभी भी कई मरीज मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच अस्पताल में इलाज के लिए चक्कर काट रहे हैं।
मानवाधिकार आयोग ने भेजा बिहार सरकार को नोटिस
इस मामले के सामने आने के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) दखल दिया है और बिहार सरकार को नोटिस भेजा है। दरअसल, बिहार के मानवाधिकार आयोग के वकील एस के झा ने इस मामले के खिलाफ याचिका दायर की थी जिसके बाद आयोग ने नोटिस जारी किया है। आयोग ने नोटिस जारी कर बिहार के मुख्य सचिव से मामले की पूरी रिपोर्ट चार हफ्तों में मांगी है।
जांच में उपकरण और दवाइयाँ सभी संक्रमित
इस मामले की गूंज सदन तक पहुँच गई है। कई विपक्षी नेता नीतीश सरकार को निशाने पर ले रहे हैं। सरकार भी जाग गई और पटना से स्वास्थ्य विभाग की स्पेशल टीम मुजफ्फरपुर भेज दिया गया।
स्वास्थ्य विभाग की टीम जैसे ही मुजफ्फरपुर आई हास्पिटल पहुंची अस्पताल के कर्मचारी ताला लगाकर भाग निकले। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने जांच टीम ने एसकेएमसीएच की माइक्रोबायोलॉजी लैब को आई हॉस्पिटल के लैब की जांच की जिम्मेदारी दी। माइक्रोबायोलॉजी लैब की रिपोर्ट के अनसार,
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, बिहार के मुजफ्फरपुर आई हास्पिटल में 22 नवंबर को मोतियाबिंद ऑपरेशन शिविर आयोजित किया गया था। इस दौरान एक डॉक्टर ने 65 मरीजों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन कर दिया। हालत बिगड़ने पर जब मरीज अस्पताल पहुंचे तो उन्हें ही लापरवाह ठहराते हुए अस्पताल ने पल्ला झाड़ लिया।
मरीजों की हालत खराब होने पर हंगामा बढ़ते देख इस अस्पताल ने 15 मरीजों को पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल (PMCH) रेफर कर दिया। 6 मरीजों को श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल (SKMCH) भेज दिया गया। मरीजों के अनुसार ऑपरेशन के बाद से ही वो अस्पताल के चक्कर काट रहे, परंतु उन्हें डांटकर भगा दिया गया था।
इस ऑपरेशन के कारण 24 से अधिक मरीजों की आँखों की रोशनी चली गई है। 18 मरीजों की एक आँख इन्फेक्शन के कारण निकालनी पड़ी है, जबकि 58 वर्षीय रुबैदा खातून नामक महिला की मौत हो गई है। इस घटना की जानकारी के बाद से बिहार के स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है।
लापरवाही कैसे हुई?
इस मामले पर मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन डॉक्टर विनय कुमार शर्मा के अनुसार ‘डॉक्टर एस एन का नाम सामने आ रहा है जिन्होंने एक दिन में 65 ऑपरेशन किए।’ डॉक्टर विनय कुमार शर्मा ने बताया कि नियमों के अनुसार एक दिन में कोई भी डॉक्टर ज्यादा से ज्यादा 12 मोतियाबिंद के ऑपरेशन कर सकता है, जबकि इस अस्पताल में मोतियाबिंद सही करने के नाम पर 65 मरीजों का ऑपरेशन कर दिया गया।
एक सप्ताह में कुल 328 मरीजों का ऑपरेशन
वहीं, इस मामले की जांच कर रहे पदाधिकारी एसीएमओ डा. एसपी सिंह के अनुसार, मुजफ्फरपुर आई हास्पिटल में अब तक एक सप्ताह में कुल 328 मरीजों का ऑपरेशन किया गया है। इन सभी की जांच की जा रही है, यदि कोई अन्य मरीज संक्रमण का शिकार हुआ है तो उसे एसकेएमसीएच इलाज के लिए भेजा जाएगा।
हालांकि, इस पूरे मामले पर सवाल उठते हैं कि जब अस्पताल के अस्थाई डॉक्टर छुट्टी पर थे, तो अस्पताल प्रशासन ने बाहरी डॉक्टर को क्यों बुलाया? और अगर बुलाया भी तो 65 मरीजों का ऑपरेशन एक ही दिन में करने की जल्दबाजी क्यों की गई? क्या अस्पताल प्रशासन की नजर सरकारी पैसे पर थी? क्यों जानबूझकर अस्पताल प्रशासन ने इतनी बड़ी लापरवाही को अंजाम दिया ? इन सभी सवालों के जवाब जांच के बाद ही सामने आ सकेगा।