script‘बिलकिस बानो के साथ हुआ अपराध जघन्य’, दोषियों की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का गुजरात और केंद्र सरकार को नोटिस | Bilkis Bano Case Supreme Court Issue a Notice to Gujrat and Central Government | Patrika News

‘बिलकिस बानो के साथ हुआ अपराध जघन्य’, दोषियों की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का गुजरात और केंद्र सरकार को नोटिस

locationनई दिल्लीPublished: Mar 27, 2023 08:06:09 pm

Submitted by:

Prabhanshu Ranjan

Supreme Court on Bilkis Bano Case: बिलकिस बानो केस के 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई की। दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च अदालत ने गुजरात और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।
 

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Bilkis Bano Case Supreme Court Issue a Notice to Gujrat and Central Government

Supreme Court on Bilkis Bano Case: समय पूर्व दोषियों की रिहाई से खुद को छला हुआ महसूस कर रहीं 2002 के गुजरात दंगे की पीड़िता बिलकिस बानो को अब न्याय की उम्मीद बंधती नजर आ रही है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो केस के 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई की। जस्टिस के.एम. जोसेफ और जस्टिस बी.वी. नागरत्ना की पीठ ने सुनवाई के बाद केंद्र और गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया है। पीठ ने मामले में शामिल पक्षों को सुनवाई की अगली तारीख तक दलीलें पूरी करने का निर्देश दिया और साथ ही राज्य सरकार को सुनवाई की अगली तारीख पर दोषियों को छूट देने से जुड़ी प्रासंगिक फाइलों के साथ तैयार रहने को कहा। पीठ ने बिलकिस बानो गैंगरेप केस और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के दोषी 11 लोगों की समय से पहले रिहाई के खिलाफ दायर याचिका पर नोटिस जारी किया, इस अपराध को भयानक बताया।


जहां ट्रायल हुआ वहां होना चाहिए था रिहाई का फैसला-


सुनवाई की शुरुआत में पीठ ने कहा कि याचिका पर सुनवाई से पहले, अदालत यह जानना चाहेगी कि मुद्दों का दायरा क्या है, जो उस ढांचे को जानने में मदद करेगा जिसके भीतर मुद्दों पर विचार किया जाना है। बिलकिस बानो का प्रतिनिधित्व करने वाली अधिवक्ता शोभा गुप्ता ने कहा कि इस मामले के दोषियों की रिहाई का फैसला वहां होना चाहिए जहां ट्रायल किया गया था। न कि उस राज्य में जहां अपराध किया गया हो। मालूम हो कि इस केस का ट्रायल महाराष्ट्र में हुआ था।

ट्रायल जज और सीबीआई ने छूट नहीं देने की कही थी बात-
मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि यह अपराध भयावह था। याचिकाकर्ताओं में से एक का प्रतिनिधित्व करने वाली अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने तर्क दिया कि ट्रायल जज ने कहा कि कोई छूट नहीं दी जानी चाहिए और सीबीआई ने भी कहा कि छूट नहीं दी जानी चाहिए, फिर भी उन्हें रिहा कर दिया गया।


एक दोषी के खिलाफ पैरोल पर छेड़छाड़ का हुआ था केस-

ग्रोवर ने अदालत को यह भी बताया कि पैरोल पर रहते हुए दोषी के खिलाफ महिला से छेड़छाड़ का एक और मामला दर्ज किया गया था और छूट देते समय इसे पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया था। इस मामले में सुनवाई के दौरान दलील दी गई कि 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ सभी याचिकाएं भावनात्मक दलीलें थीं।


18 अप्रैल को बिलकिन बानो केस में सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई-

पीठ ने कहा कि यह केवल कानून पर है और इसका भावनाओं से कोई लेना-देना नहीं है। बिलकिस बानो और उसके परिवार के खिलाफ अपराध को जघन्य बताते हुए पीठ ने स्पष्ट किया कि इस मामले का फैसला कानून के आधार पर किया जाएगा। विस्तृत प्रस्तुतियां सुनने के बाद, शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 18 अप्रैल को निर्धारित की।


पिछले साल 15 अगस्त को रिहा किए गए थे सभी 11 दोषी-


याचिका में रिहाई के आदेश को यांत्रिक बताते हुए कहा गया है कि बहुचर्चित बिलकिस बानो मामले में दोषियों की समय से पहले रिहाई ने समाज की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है और इसके परिणामस्वरूप देश भर में कई आंदोलन हुए हैं। सभी 11 दोषियों को गुजरात सरकार ने छूट दी थी और पिछले साल 15 अगस्त को रिहा कर दिया था।


बिलकिस बानो मामले में कई लोगों ने दायर की है याचिका-

बिलकिस बानो द्वारा दायर सहित 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ याचिकाओं का एक बैच दायर किया गया है। अन्य याचिकाएं माकपा नेता सुभाषिनी अली, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वीमेन, मीरान चड्ढा बोरवंकर और अस्मा शफीक शेख और अन्य द्वारा दायर की गई थीं। शीर्ष अदालत ने मामले में दायर सभी याचिकाओं पर नोटिस जारी किया है।

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