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चुनावी बॉन्ड से भाजपा, टीएमसी और DMK मालामाल, बसपा, माकपा और AIMIM हुए कंगाल

चुनाव आयोग (Election Commission)ने चुनावी बॉन्ड (Electoral Bonds) का खुलासा कर दिया है। इसमें भाजपा (BJP) को सबसे ज्यादा बॉन्ड मिले हैं। इसके बाद टीएमसी (TMC), कांग्रेस (Congress) और बीआरएस(BRS) का स्थान है। डीएमके (DMK) को लाटरी किंग ने सबसे ज्यादा बॉन्ड दिया है।

नई दिल्लीMar 18, 2024 / 09:15 am

Anand Mani Tripathi

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Election Commission Uploads Electoral Bonds Freash Data From SBI : भारतीय चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हए रविवार को चुनावी बॉन्ड से संबंधित अतिरिक्त जानकारी अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दी है। इसमें राजनीतिक दलों द्वारा अपने बैंक खातों में भुनाए गए चुनावी बॉन्ड की जानकारी भी शामिल है। समझा जाता है कि नया विवरण 12 अपेल 2019 से पहले के हैं। इस तारीख से बाद की जानकारी चुनाव आयोग ने पिछले सप्ताह ही सार्वजनिक की थी।

 

 

भाजपा ने सबसे ज्यादा कुल 6,986.5 करोड़ रुपए के चुनावी बॉन्ड भुनाए। सत्तारूढ़ दल को सबसे अधिक राशि 2019-20 में 2,555 करोड़ रुपए मिली। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से 1,397 करोड़ रुपए मिले और वह भाजपा के बाद बॉन्ड से चंदा हासिल करने वाली दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। यह अलग बात है कि टीएमसी अब यह कह रही है कि उसके बॉक्स में कोई ये बॉन्ड डाल गया था।

 

कांग्रेस ने चुनावी बॉन्ड के जरिए कुल 1,334.35 करोड़ रुपए भुनाए। बीजू जनता दल (बीजेडी), वाईएसआर कांग्रेस और टीडीपी जैसे क्षेत्रीय दलों ने क्रमशः 944.5 करोड़ रुपए, 442.8 करोड़ रुपए और 181.35 करोड़ रुपए के चुनावी बॉन्ड भुनाए। तेलंगाना में नेता प्रतिपक्ष के.चंद्रशेखर राव की बीआरएस चुनावी बॉन्ड के माध्यम से चंदा हासिल करने वाली चौथी सबसे बड़ी पार्टी है। बीआरएस ने 1,322 करोड़ रुपए के बॉन्ड भुनाए। समाजवादी पार्टी को चुनावी बॉन्ड के जरिए 14.05 करोड़ रुपए, अकाली दल को 7.26 करोड़ रुपए, एआईएडीएमके को 6.05 करोड़ रुपए और नेशनल कॉन्फ्रेंस को 50 लाख रुपए मिले। माकपा ने घोषणा की है कि उसे चुनावी बॉन्ड के माध्यम से धन प्राप्त नहीं हुआ है। एआईएमआईएम और बसपा की फाइलिंग में शून्य राशि प्राप्त होना दिखाया गया है।

 

चुनाव आयोग के आंकड़ों से पता चला है कि तमिलनाडु की डीएमके को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से 656.5 करोड़ रुपए मिले, जिसमें लॉटरी किंग सैंटियागो मार्टिन के फ्यूचर गेमिंग से 509 करोड़ रुपए भी शामिल हैं। यह खुलासा विपक्षी इंडिया गठबंधन को परेशानी में डालने वाला हो सकता है जो चुनावी बॉन्ड को राजनीतिक मुद्दा बना रही है।

 

चुनाव आयोग ने कहा, ‘राजनीतिक दलों से प्राप्त चंदे की जानकारी सीलबंद लिफाफे को खोले बिना सुप्रीम कोर्ट में जमा किया गया था। 15 मार्च, 2024 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री ने डिजिटल रेकॉर्ड के साथ भौतिक प्रतियां वापस कर दी हैं।’ इसे सीलबंद कवर में एक पेन ड्राइव में रखा गया है। राजनीतिक दलों ने सुप्रीम कोर्ट के 12 अप्रैल, 2019 के अंतरिम आदेश के निर्देशानुसार सीलबंद कवर में चुनावी बॉन्ड पर डेटा दाखिल किया था।

 

1. सिटीजन राइट्स ट्रस्ट ने एक मार्च, 2018 से 11 अप्रैल, 2019 तक बेचे गए चुनावी बॉन्ड के पूरे विवरण का खुलासा करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर की।
2. चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए पिछले गुरुवार को अपनी वेबसाइट पर स्टेट बैंक से प्राप्त चुनावी बॉन्ड का विवरण प्रकाशित किया था। कोर्ट ने 15 मार्च तक का समय दिया था।
3.शीर्ष अदालत के आदेश के बाद स्टेट बैंक ने 12 मार्च को चुनावी बॉन्ड की जानकारी चुनाव आयोग को सौंपी कर 13 मार्च को अनुपालना रिपोर्ट पेश की थी।

 

28 जनवरी, 2017 को तत्त्कालीन केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली ने देश में चुनावी बॉन्ड योजना पेश की थी। इसका उद्देश्य पारदर्शी राजनीतिक फंडिंग की सुविधा प्रदान करना था। इसके तहत व्यक्तियों और कॉर्पोरेट संस्थाओं को राजनीतिक दलों को विवेकपूर्ण तरीके से चंदा देने का अवसर मिलता है, क्योंकि उन बॉन्डों में दाता और उस राजनीतिक दल की कोई पहचान नहीं होती थी जिसे इसे जारी किया गया था।

 

1- भाजपा ने सबसे ज्यादा कुल 6,986.5 करोड़ के बॉन्ड भुनाए
2- सत्तारूढ़ दल को 2019-20 में 2,555 करोड़ रुपए मिले
3- 1,397 करोड़ रुपए भुनाने वाली टीएमसी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी
4- कांग्रेस को चुनावी बॉन्ड के जरिए कुल 1,334.35 करोड़ मिले
5- डीएमके के चुनावी बॉन्ड की 83 फीसदी राशि लॉटरी किंग से मिले

 

चुनावी बॉन्ड के बारे में आयोग की दूसरी सूची से पता चलता है कि पिछले पांच साल में बेचे गए कुल चुनावी बॉन्ड का करीब 11 फीसदी फ्यूचर गेमिंग एंड होटस सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के संचालक ‘लॉटरी किंग’ सैंटियागो मार्टिन ने खरीदे थे। वर्ष 1991 में कोयंबटूर में स्थापित कंपनी ने कुल 1,368 करोड़ रुपए का चंदा बॉन्ड के माध्यम से दिया, जिसका करीब 37 फीसदी हिस्सा डीएमके को हासिल हुआ।

-2008 में मार्टिन ने केरल में माकपा के मुखपत्र को दो करोड़ का दान दिया था। हालांकि, पार्टी में आंतरिक कलह के कारण पैसा लॉटरी किंग को वापस कर दिया गया। लॉटरी किंग के दामाद आधव अर्जुन को तमिलनाडु के डीएमके के शीर्ष नेताओं का नजदीकी माना जाता है। अर्जुन अब दलित पार्टी विदुथलाई चिरुथिगल काची (वीसीके) में शामिल हो गए हैं।
1. सैंटियागो मार्टिन पड़ोसी देश म्यांमार में एक मजदूर था। उसने 1988 में रंगून से लौटने के बाद तमिलनाडु में ‘मार्टिन लॉटरी’ के नाम से धंधा शुरू किया।
2.र्टिन चैरिटेबल ट्रस्ट के अनुसार, उसने कर्नाटक, पंजाब, पश्चिम बंगाल, केरल, महाराष्ट्र और पूर्वोत्तर राज्यों तक लॉटरी व्यवसाय फैलाया।
3. मार्टिन की अमीर बनने की कहानी अधिकारियों की जांच के घेरे में आ गई। 2003 में तमिलनाडु में ‘मार्टिन लॉटरी’ पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
4.2011 के बाद इस कंपनी को आयकर चोरी, मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी के संदेह में कई प्रकार की जांच का सामना करना पड़ा।
5. आयकर अधिकारियों द्वारा पूछताछ के बाद मार्टिन द्वारा संचालित कोयंबटूर के एक कॉलेज का अकाउंटेंट 2019 में मृत पाया गया था।
6. केरल में फर्जी लॉटरी बिक्री के कारण सिक्किम सरकार को 900 करोड़ रुपए से अधिक के नुकसान के आरोप में ईडी ने 2023 में करीब 457 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की थी।

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