आज एक सभा को त्रिपुरा में संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “पीएम मोदी ने आदिवासी आबादी के प्रतिनिधित्व की दिशा में काम किया है। उनके मंत्रिमंडल में सात मंत्री आदिवासी हैं, त्रिपुरा के कम से कम 5 मंत्री आदिवासी हैं। अब हमारे पास देश के सर्वोच्च पद पर एक आदिवासी प्रतिनिधि है। द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति बनना आदिवासियों का सम्मान है।”
इस दौरान नड्डा ने कहा कि देश पर जब भी कोई संकट आया है तो रक्षा करने के लिए जनजातीय समाज का हमेशा आगे रहा है। ये समाज आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने का प्रयास कर रहा है।
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बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने अपने सम्बोधन में आदिवासी समुदाय को लेकर ये बातें यूं ही नहीं कहीं। इसके जरिए वो राज्य के 31.8 फीसदी आबादी को साधने का प्रयास कर रहे हैं।
बता दें कि त्रिपुरा की कुल 60 में से 20 सीटों पर आदिवासी समुदाय का प्रभाव है और ये सबसे सुरक्षित मानी जाती हैं। यहाँ आदिवासियों की आबादी अन्य समुदाय और जातियों की तुलना में अधिक है। इन सीटों पर बीजेपी ने आईपीएफटी केसाथ मिलकर जीत दर्ज की थी। अब आदिवासी संगठन आईपीएफटी के साथ उसके संबंध खराब हो गए जिसके बाद से बीजेपी अपने दम पर आदिवासी वोट में पैठ बनाने में जुटी है। बीजेपी इन सीटों पर अपना दावा ठोकती है। ऐसे में बीजेपी के लिए 20 सीटों पर अपनी पकड़ को मजबूत करने में जुटी है।