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1962 से 2004 तक की बॉर्डर की निगरानी, अब हक के लिए भटक रहे बॉर्डर के छापामार गुरिल्ला

Published: Jun 28, 2017 10:47:00 am

Submitted by:

Abhishek Pareek

किसी समय बॉर्डर पर दुश्मन की हर हरकत पर नजर रखने वाले छापा मार गुरिल्ला केन्द्र व राज्य सरकारों की अनदेखी के चलते आज अपने हक के लिए भटक रहे हैं।

किसी समय बॉर्डर पर दुश्मन की हर हरकत पर नजर रखने वाले छापा मार गुरिल्ला केन्द्र व राज्य सरकारों की अनदेखी के चलते आज अपने हक के लिए भटक रहे हैं। इनकी सुनवाई नहीं हो रही है। चीन से युद्ध के बाद गुरिल्ला फोर्स (स्पेशल सेंट्रल ब्यूरो) का गठन हुआ था। जिसमें बॉर्डर के आसपास रहने वाले नागरिकों को इस फोर्स में भर्ती किया गया और उनको 45 दिन का प्रशिक्षण दिया जाता था। 
प्रशिक्षण के बाद इनको चौबीस घंटे अलर्ट पर रखा जाता था। 1962 से वर्ष 2004 तक यह गुरिल्ला फोर्स बॉर्डर पर अपना काम करती रही लेकिन 2004 में केन्द्र सरकार ने इस फोर्स में ओपन भर्ती शुरू कर दी और आईएएस अधिकारियों की नियुक्ति कर दी। गुरिल्ला फोर्स से बाहर हो गए और इनको सरकार की ओर से कोई लाभ नहीं मिला। 
देशभर के गुरिल्लाओं ने दिल्ली में धरना-प्रदर्शन किया लेकिन इनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। जबकि मणिपुर में गुरिल्लाओं को कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने सभी लाभ दे दिए। अन्य राज्यों के गुरिल्ला आज भी अपने हक के लिए धरना-प्रदर्शन करने को मजबूर हैं।
दी जाती थी ट्रेनिंग

पूर्व गुरिल्ला राजेन्द्र चौधरी, हरिराम, रणवीर सिंह व साहबराम नायक आदि ने बताया कि उस समय उनको 45 दिन की ट्रेनिंग दी जाती थी, जिसमें एलएमजी, ग्रेनेड व लाइट गन आदि चलाना सिखाया जाता था। जिससे जरुरत पडऩे पर गुरिल्ला छापा मार युद्ध कर बॉर्डर पर आने वाले दुश्मन को खदेड़ सके और बॉर्डर की सुरक्षा कर सके। यह गुरिल्ला फोर्स 17 राज्यों में थी।
प्रदेश में 3 हजार, श्रीगंगानगर में 1200 पूर्व गुरिल्ला

उन्होंने बताया कि राजस्थान की सीमा से लगे गांवों में करीब तीन हजार पूर्व गुरिल्ला हैं। इनमें से श्रीगंगानगर जिले में पाक सीमा बॉर्डर से लगते गांवों में करीब बारह सौ गुरिल्ला लगे थे। जो आज अपने हक के लिए करीब ग्यारह साल से भटक रहे हैं।
यह करते थे कार्य

पूर्व गुरिल्लाओं का कहना है कि वे बॉर्डर पर ग्रामीणों को ट्रेनिंग देते थे। दुश्मन की हर गतिविधि की सूचना अधिकारियों को देते थे। इसके अलावा घुसपैठ की जानकारी जुटाते थे।
सेना का सहयोग

पूर्व गुरिल्लाओं ने बताया कि 1971 में पाक से लड़ाई के दौरान गुरिल्लाओं ने सेना की मदद की थी ।

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