बार-बार आग्रह पर भी जब अकाली शांत नहीं हुए तो मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने खड़े होकर कहा कि वह छह बार विधायक और दो बार सांसद रह चुके हैं, सदन की अपनी एक अलग मर्यादा होती है। जिसे भंग करने का अधिकार किसी को नहीं है। कैप्टन ने कहा कि पंजाब के सदन में तीन दिन से चल रहा घटनाक्रम बेहद दुखदायी व दुर्भागयपूर्ण है। कैप्टन ने कहा कि अकाली दस वर्ष तक पंजाब में सत्ता पर काबिज रहे और इस अवधि के दौरान प्रदेश में सात हजार किसानों ने आत्महत्या की है। उस समय अकालियों को किसानों के हित याद नहीं आए।
कैप्टन ने कहा कि अकाली विधायकों को चुनौती भरे लहजे में कहा कि किसानों की मांग पर सरकार बहुत जल्द कार्रवाई करने जा रही है लेकिन अकाली शोर मचाकर विधानसभा की कार्यवाही को बाधित करके दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं। कैप्टन ने अकालियों की तरफ इशारा करते हुए दो टूक शब्दों में कहा कि उन्होंने कभी भी दबाव नहीं माना है और न ही वह दबाव मानेंगे।
अमरिंदर ने कहा कि शोर मचाकर श्रेय लेना ठीक नहीं है। मुख्यमंत्री आज सदन में पहली बार खुद को असहज दिखाई दिए। सीएम के कहने पर भी अकाली जब नहीं माने तो अमरिंदर ने कहा कि आज मुझे अफसोस है… मैं शर्मसार हूं की मैं इस सदन का नेता हूं। यहां कभी स्पीकर की कुर्सी का अपमान किया जा रहा है तो कभी दस्तावेज उछाले जा रहे हैं।