
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) को निर्देश दिए कि उड़ानों में यात्रियों के अनियंत्रित व्यवहार से निपटने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश तैयार करें। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप रचनात्मक तरीके अपनाने और बुजुर्ग यात्रियों की अलग सीटों जैसे उपायों पर जोर दिया जाए। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने दो साल पूर्व एक फ्लाइट में बुजुर्ग महिला पर नशे में धुत्त एक यात्री के पेशाब करने की घटना से संबंधित जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिए।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि एयरलाइंस के दिशा-निर्देशों में घटना से बाद की कार्रवाई तो बताई गई है लेकिन दुर्व्यव्हार रोकने के लिए कोई उपाय नहीं किए गए हैं। इस पर बेंच ने केंद्र सरकार के वकील से पूछा कि नशे में धुत्त यात्रियों की पहचान और उन्हें रोकने के लिए क्या किया जाता है?
सुनवाई के दौरान जस्टिस विश्वनाथन ने जस्टिस सूर्यकांत के साथ एक घरेलू विमान यात्रा के दौरान का बुरा अनुभव सुनाया। उन्होंने कहा कि दो पुरुष यात्री पूरी तरह से नशे में थे। एक ने खुद को करीब 35 मिनट तक शौचालय में बंद कर सो गया जबकि दूसरा वमन थैली लेकर घूमता रहा। महिला क्रू और यात्री इस दौरान परेशान होते रहे। बाद में यात्रियों ने जैसे-तैसे शौचालय का दरवाजा खुलवाया।
केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने पीठ को आश्वासन दिया कि यात्रियों के अनियंत्रित व्यवहार से निपटने के लिए मौजूदा दिशा-निर्देशों और परिपत्रों की समीक्षा की जाएगी और उन्हें उचित रूप से संशोधित किया जाएगा। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के सुझावों पर भी गौर करने को कहा।
Published on:
27 Nov 2024 08:39 am
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