राज्य की छानबीन समिति ने सासंद की जाति प्रमाण पत्र की जांच रिपोर्ट प्रमुख साचिव आदिवासी विकास को भेज दी है। जहां जांच में पाया गया है कि ज्योति धुर्वे का जाति प्रमाण पत्र 1984 में रायपुर के आदिवासी विभाग के संयोजक से बनवाया गया था।
सूत्रों के मुताबिक, सांसद ने छानबीन समिति के सामने अपनी जाति को लेकर जितने भी साक्ष्य दिए थे। वह सभी पिता की ओर से संबंधित थे। तो वहीं उनके पिता पवार जाति के थे और वह बालाघाट के निवासी थे। तो ज्योति धुर्वे की शादी बैतूल के प्रेम धुर्वे से हुई थी। जिसके बाद साल 2002 बैतूल के भैंसदेही ब्लॉक ने चिल्कापुर के सत्यापन के आधार पर उनका जाति प्रमाण पत्र जारी किया गया था। तो वहीं अब इस मामले में सांसद की मुश्किलें और भी बढ़ती जा रही है।
गौरतलब है कि साल 2008 में सांसद बनने के बाद से ज्योति धुर्वे के जाति प्रमाण पत्र को लेकर संदेह बना हुआ था। ज्योति के खिलाफ आरोप लगे हैं कि ज्योति धुर्वे गैर आदिवासी हैं और आदिवासी होने का फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर वो बैतूल की आदिवासी रिजर्व सीट से सांसद बनी हैं। पहले 5 साल के भीतर इस मामले में जांच पूरी नहीं सकी थी जिसके बाद उनके खिलाफ दायर शिकायत को रद्द मान लिया गया था।
इस मामले में फर्जी जाति प्रमाण पत्र की शिकायत करने वाले अधिवक्ता अधिवक्ता शंकर पेन्द्राम ने कहा कि ऐसा करने से आदिवासी जाति को नुकसान हुआ है। सांसद ज्योति धुर्वे को तुंरत अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।