इस विषय से संबंधित बिल को गृह मंत्रालय ने सीएम को वापस लौटाते हुए उनसे और अधिक जानकारी मांगी है। तो दिल्ली सरकार शुरुआत से ही केन्द्र सरकार पर इस बिल को जानबूझकर रोकने का आरोप लगाती आ रही है।
गौरतलबब है कि दिल्ली सीएम प्रस्तावित बिल के मुताबिक अपने विधायकों की बेसिक सैलरी 12 हजार से बढ़ाकर 50 हजार करने और उनका कुल मासिक पैकेज 80 हजार से बढ़ाकर 2.1 लाख करने का प्रावधान रखा था। तो वहीं केन्द्र सरकार से इस मामले में कोई कार्यवाई नहीं होने से मामला अधर में लटका पड़ा है।
अब जबकि गृह मंत्रालय ने इस बिल को वापस दिल्ली सरकार को भेज दिया है। दिल्ली सरकार ने इस बिल को दिसंबर 2015 में विधानसभा में पास कराया था। दिसंबर में बिल को विधान सभा से पास कराते समय दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा था कि तमाम आलोचनाओं और बहसों से इतर यह एक व्यवहारिक निर्णय होगा। साथ ही इसे विधायकों के सम्मान से जोड़कर बताया था।
उन्होंने कहा था कि हम भ्रष्टाचार को किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे। जिसको लेकर विधायकों के लिए काम करने लायक हालात बनाने होंगे। बावजूद इसके केन्द्र सरकार ने उनके बिल को वापस उन्हें भेज दिया है।