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जनता के ‘लावारिस’ एक लाख करोड़ रुपए से पूरी होंगी मोदी की योजनाएं!

Published: Jun 24, 2016 09:45:00 am

Submitted by:

santosh

सरकार बनाने के बाद धड़ाधड़ योजनाओं की घोषणा कर चुकी केन्द्र सरकार के सामने इनको लागू करने में धन की कमी आड़े आ रही थी। अब सरकार जनता के  लावारिस पैसों से इन योजनाओं को गति देने की योजना तैयार कर रही है। इस के लिए सरकार ने भविष्य निधि और जीवन बीमा निगम में […]

सरकार बनाने के बाद धड़ाधड़ योजनाओं की घोषणा कर चुकी केन्द्र सरकार के सामने इनको लागू करने में धन की कमी आड़े आ रही थी। अब सरकार जनता के लावारिस पैसों से इन योजनाओं को गति देने की योजना तैयार कर रही है। इस के लिए सरकार ने भविष्य निधि और जीवन बीमा निगम में पड़े ऐसे धन पर नजर गड़ा दी है जिस पर लंबे समय से किसी ने दावा नहीं किया है। सरकार के पास इस बात की जानकारी है कि लावारिस पैसों की रकम एक लाख करोड़ के आसपास है।
न्यूनतम ब्याज पर लोन लेने की कवायद

केन्द्र सरकार स्वच्छ भारत अभियान, हर घर में शौचालय, उज्ज्वला योजना, नमामि गंगे के साथ ही अन्य सामाजिक सरोकार से जुड़ी योजनाओं के लिए इन लावारिस पैसों को इस्तेमाल करने की योजना बना रही है। विश्व बैक के साथ ही अन्य वित्तीय संस्थानों से पैसे लेने के बाद भी सरकार को और फंड की अवश्यकता महसूस हो रही है। इस योजना को अमली जामा पहनाने की जिम्मेदारी नीति आयोग को सौपी गई है। 
सरकार ईपीएफओ और एलआईसी के पास बिना क्लेम वाले फंड से न्यूनतम ब्याज पर लोन लेने का मन बना रही है। नीति आयोग और श्रम मंत्रालय में बातचीत आरंभिक स्तर पर शुरू हो गई है। श्रम मंत्रालय ने आरम्भिक स्ता्र पर इस बात पर सहमति जताई है कि अगर सरकार से ब्याज मिलता है तो पीएफ में लावारिस पड़ी रकम को केन्द्र को उधार दिया जा सकता है। श्रम मंत्रालय का कहना है कि इस पैसों की सुरक्षा की गांरटी भी सरकार को देनी होगी क्योंकि यह पैसा किसी भी समय क्लेम किया जा सकता है।
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