केंद्र का नया मैकेनिज्म?
चूंकि कुछ राज्य मांग कर रहे हैं कि एक बार ड्राफ्ट तैयार हो जाए फिर से इसे काउंसिल की बैठक में लाया जाए इसलिए मंत्रालय विवाद के समाधान के लिए मैकेनिज्म के प्रोसीजर पर काम कर रहा है। नियमों के मुताबिक GST कानून में इस तरह के विवादों को सुलझाने के लिए वोटिंग का प्रावधान है। इसमें केंद्र का एक तिहाई वोट होता है जबकि बाकी दो-तिहाई राज्यों का होता है। इसके बाद कम से कम तीन-चौथाई बहुमत से निर्णय पारित या अस्वीकार किया जाता है।
इससे पहले, काउंसिल ने राज्यों के बीच मतभेदों को दूर करने के लिए मंत्रियों के समूह स्थापित किए थे। इस समूह ने पिछले पांच वर्षों में, एक को छोड़कर बाकी विवादों को आम सहमति से हल किया गया है, जिसे परिषद ने वोट से तय किया था।
चूंकि कुछ राज्य मांग कर रहे हैं कि एक बार ड्राफ्ट तैयार हो जाए फिर से इसे काउंसिल की बैठक में लाया जाए इसलिए मंत्रालय विवाद के समाधान के लिए मैकेनिज्म के प्रोसीजर पर काम कर रहा है। नियमों के मुताबिक GST कानून में इस तरह के विवादों को सुलझाने के लिए वोटिंग का प्रावधान है। इसमें केंद्र का एक तिहाई वोट होता है जबकि बाकी दो-तिहाई राज्यों का होता है। इसके बाद कम से कम तीन-चौथाई बहुमत से निर्णय पारित या अस्वीकार किया जाता है।
इससे पहले, काउंसिल ने राज्यों के बीच मतभेदों को दूर करने के लिए मंत्रियों के समूह स्थापित किए थे। इस समूह ने पिछले पांच वर्षों में, एक को छोड़कर बाकी विवादों को आम सहमति से हल किया गया है, जिसे परिषद ने वोट से तय किया था।
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राजस्व का कम होनादरअसल, GST जबसे लागू हुआ है तबसे इसके कुल राजस्व के दो बराबर हिस्से होते हैं। एक हिस्सा केंद्र तो दूसरा राज्यों के पास जाता है। जीएसटी की कुल राजस्व में से 71 फीसदी हिस्सा राज्यों के पास जाता है।
अब माना जा रहा है कि 1 जुलाई से केंद्र के सामने विवादों की लिस्ट और बढ़ने वाली है क्योंकि केंद्र किसी भी प्रकार की कमी की भरपाई के लिए मुआवजा देना बंद कर देगी। सरकार को उम्मीद थी कि GST से उसे हर महीने कम से कम 1 लाख करोड़ रुपये की होगी लेकिन ये अपेक्षा से कम ही रहा और कोरोना ने इसे ओर नीचे गिरा दिया। इसके पीछे का कारण GDP की ग्रोथ अपेक्षा से कम होना भी रहा।
मुआवजे को लेकर राज्यों की चिंता
केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों से वादा किया था कि वो अगले पाँच सालों तक कलेक्शन में किसी भी प्रकार की कमी की भरपाई करेगी। तबसे सरकार हर साल राज्य सरकारों को मुआवजा दे रही है। इस वर्ष भी सरकार ने 31 मई 2022 तक राज्यों कों GST मुआवजे की बाकी राशि का भुगतान कर दिया है। ये समय सीमा इस साल जून में खत्म हो जाएगी। इसका अर्थ ये है कि अब किसी भी प्रकार की कमी होने पर केंद्र राज्य को भुगतान नहीं करेगी जबकि राज्य इसे समय को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।
केंद्र सरकार को भी इन मुआवजों के भुगतान में काफी नुकसान झेलना पड़ा है। इस वर्ष भी जीएसटी मुआवजा कोष में केवल 25,000 करोड़ रुपये ही थे लेकिन बाकी रकम सरकार ने अपने संसाधनों से जारी किये।
जीएसटी चोरी भी बना सरदर्द
इसके अलावा जीएसटी चोरी से जुड़े मामलों ने भी राज्य और केंद्र सरकार की परेशानियों को बढ़ाने का काम किया है। जिस GST को कर एकत्रीकरण को बढ़ाने और पारदर्शिता लाने के लिए लाया गया था उससे जुड़े चोरी के मामलों ने केंद्र की चिंताओं को बढ़ाया है। उदाहरण के लिए नोएडा जोन में ही हाल ही में 18.56 करोड़ की जीएसटी चोरी पकड़ी गई है।
अब जून के बाद से सरकार राज्यों को टैक्स कलेक्शन में किसी भी प्रकार की कमी की भरपाई के लिए मुआवजा बंद करेगी जिसको लेकर
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