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सीएए पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से भिड़ गई मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जानिए क्या है सीएए?

पश्चिम बंगाल के सियासी समर में अब रक्षामंत्री और मुख्यमंत्री के बीच जंग छिड़ गई है। रक्षामंत्री ने सीएए कानून को हर हाल में लागू करने ऐलान किया है तो वहीं मुख्यमंत्री ने पलटवार करते हुए इसे लागू नहीं होने देने का ऐलान किया है

नई दिल्लीApr 21, 2024 / 07:57 pm

Anand Mani Tripathi

पश्चिम बंगाल में चल रहे सियासी समर में अब सीएए पर संग्राम छिड़ गया है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच जुबानी घमासान हो रहा है। रक्षामंत्री ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद के जलांगी इलाके में रैली करते हुए कहा कि “सीएए उन लोगों को नागरिकता देने के लिए है जिन्होंने धार्मिक कारणों से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे देशों को छोड़ दिया है। ममता बनर्जी और उनकी पार्टी इसका विरोध कर सकती है लेकिन सीएए किसी भी कीमत पर लागू किया जाएगा।” यह नेताजी सुभाष चंद्र बोस और चैतन्य महाप्रभु की भूमि है। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ दल धार्मिक तनाव को बढ़ावा दे रहा है।
पश्चिम बंगाल में अराजकता है।
वहीं उत्तर बंगाल के पड़ोसी बालुरघाट इलाके में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पलटवार करते हुए कहा कि वह देश में सीएए लागू नहीं होने देंगी। उन्होंने कहा कि “भाजपा सीएए और एनआरसी को चुनौती देने के मेरे अधिकार पर सवाल उठा रहे हैं। वे कौन होते हैं मुझसे सवाल करने वाले? जब मैंने कहा कि हम सीएए और एनआरसी को लागू नहीं होने देंगे तो मेरा मतलब यही है। उन्होंने असम में एनआरसी लागू करने की कोशिश की, तृणमूल कांग्रेस इसका विरोध करने वाली एकमात्र राजनीतिक पार्टी थी।”
ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि “भाजपा ने पिछले 10 वर्षों के दौरान केवल देश की संपत्तियों को बेचने पर ध्यान केंद्रित किया है। आपने देश की संपत्ति बेच दी है। आपने देश का इतिहास बदल दिया है। क्या आपने कोई अच्छा काम किया है? आपने मनरेगा के तहत 100 दिन की नौकरी के लिए केंद्र से मिलने वाला पैसा भी रोक दिया।”
जानिए क्या है CAA?

सीएए यानी की नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act) इस कानून के तहत तीन पड़ोसी देश बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को नागरिकता दी जाती है। दिसंबर 2014 से पहले से भारत में आने वाले छह धार्मिक अल्पसंख्यकों (हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन, पारसी और ईसाई ) को नागरिकता दी जाएगी।

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