चीफ जस्टिस ने माना कि इसके आधार पर लोग भविष्य के दावों को आधार बना सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि कुछ मीडिया आउटलेट्स के जरिए की जा रही गैरजिम्मेदाराना रिपोर्टिंग इस स्थिति को और भ्रामक बना रही है।
कुछ हद तक अवैध प्रवासियों की संख्या का पता लगाने की तत्काल आवश्यकता थी। एनआरसी की जरूरत अवैध प्रवासियों की संख्या का पता लगाने के लिए की गई थी। इसमें कुछ भी कम या ज्यादा नहीं होना था।
असम देश का पहला राज्य है जहां भारतीय नागरिकों के नाम शामिल करने के लिए 1951 के बाद एनआरसी को अपडेट किया जा रहा है। एनआरसी का पहला मसौदा 31 दिसंबर और एक जनवरी की रात जारी किया गया था।
जिसमें लगभग 1।9 करोड़ लोगों के नाम शामिल थे। असम में बांग्लादेश से आए घुसपैठियों पर बवाल के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एनआरसी लिस्ट अपडेट करने के लिए कहा था। एनआरसी रजिस्टर असम का निवासी होने का सर्टिफिकेट है। इसके एनआरसी लिस्ट के तहत 1971 से पहले जो भी बांग्लादेशी असम में आकर बसे हैं, उन्हें भारत की नागरिकता दी जाएगी।