प्रसाद ने कहा कि यह बहुत दुखद है कि मोदी बाढ़ प्रभावितों को राहत देने का काम भी चुनाव और वोट को ध्यान में रखकर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वोटरों को लुभाने के लिए ही प्रधानमंत्री ने गुजरात को 500 करोड़ रुपए की तत्काल राहत देने की घोषणा की है। किसानों को बाढ़ के कारण हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए केंद्रीय दल भेजने, जल्द बीमा का भुगतान कराने तथा मृतक आश्रितों को प्रधानमंत्री राहत कोष से दो दो लाख और घायलों को 50-50 हजार रुपए की अतिरिक्त सहायता देने की भी घोषणा की है।
असम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रिपुन बोरा ने भी केंद्र सरकार पर असम के साथ भेदभाव करने और गैरजिम्मेदार रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। बोरा ने कहा कि बाढ़ के कारण असम के बिगड़े हालात से केंद्र सरकार को अवगत कराने के लिये उन्हें यहां प्रेस कांफ्रेंस करनी पड़ी। एक माह से अधिक समय से पूरा प्रदेश बाढ़ के पानी की चपेट में है। राज्य के कई गांव और कस्बे बर्बाद हो चुके हैं तथा कई लोग मारे गए हैं और बड़े स्तर पर फसल तबाह हुई है।
वोरा ने मोदी पर भी निशाना साधा और कहा कि विधानसभा चुनाव के समय उन्होंने असम के लोगों को भरोसा दिया था कि प्रदेश की जनता ने भाजपा को वोट दिया और उसकी सरकार बनार्इ तो वह असम को देश का सबसे श्रेष्ठ राज्य बना देंगे। मोदी पर भरोसा करके असम की जनता ने भाजपा को वोट दिए और सरकार बनावा दी लेकिन अब मोदी अपना वादा भूल गए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि असम को बाढ़ से निपटने के लिए केंद्र से कोई मदद नहीं दी जा रही है। मोदी तथा गृहमंत्री
राजनाथ सिंह ने सार्वजनिक सभाओं में कहा था कि असम के लोगों की तत्परता से मदद की जाएगी लेकिन जब असम संकट में है तो उसके साथ भेदभाव किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को भेदभाव की नीति छोड़कर असम के लोगों के साथ न्याय करना चाहिए। वहां की लाखों हेक्टेयर कृषि भूमि पर पानी भर गया है। नदियों का कटाव किसान के लिए अभिशाप बन रहा है। चीन अपने इलाके में बड़े बांध बना रहा है और दुर्भाग्य से बदला लेने के लिए उसने कभी इन बांधों का पानी छोड़ा तो पूरा असम जलमग्न हो जाएगा। केंद्र सरकार को इस तरफ भी ध्यान देना चाहिए।