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Isro SSLV-D3 Mission : कल से SSLV-डी3 की उल्टी गिनती होगी शुरू, स्वतंत्रता दिवस पर ISRO देगा खास सौगात

Isro SSLV-D3 Mission : पृथ्वी अवलोकन उपग्रह (IOS-08) का प्रक्षेपण लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) का उपयोग करके किया जाएगा। यह एसएसएलवी-डी3 तीसरा और अंतिम विकासात्मक प्रक्षेपण है और यह माइक्रोसैटेलाइट को लेकर स्वतंत्रता दिवस पर सुबह 09.17 बजे शार रेंज से उड़ान भरेगा।

नई दिल्लीAug 14, 2024 / 11:07 am

Anand Mani Tripathi

Isro SSLV-D3 Mission : आंध्रप्रदेश में श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित होने वाले SSLV-D3 के प्रक्षेपण की उल्टी गिनती बुधवार को शुरू होगी। इसरो के सूत्रों ने बताया कि प्रक्षेपण के लिए उल्टी गिनती कल यानी बुधवार को से शुरू होगी। कुल 175.5 किलोग्राम वजनी इस पृथ्वी अवलोकन उपग्रह (IOS-08) का प्रक्षेपण लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) का उपयोग करके किया जाएगा। यह एसएसएलवी-डी3 तीसरा और अंतिम विकासात्मक प्रक्षेपण है और यह माइक्रोसैटेलाइट को लेकर स्वतंत्रता दिवस पर सुबह 09.17 बजे शार रेंज से उड़ान भरेगा। उन्होंने कहा कि “इस मिशन ने SSLV विकास परियोजना को पूरा किया है और भारतीय उद्योग तथा एनएसआईएल द्वारा परिचालन मिशनों को सक्षम बनाया है।”

ISRO का नवीनतम उपग्रह है ईओएस-08

उन्होंने कहा कि ईओएस-08 इसरो का नवीनतम पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है। ईओएस-08 मिशन के प्राथमिक उद्देश्यों में माइक्रोसैटेलाइट को डिजाइन और विकसित करना, माइक्रोसैटेलाइट बस के साथ संगत पेलोड उपकरण बनाना और भविष्य के परिचालन उपग्रहों के लिए आवश्यक नई तकनीकों को शामिल करना आदि हैं। प्रक्षेपण के तुरंत बाद अंतरिक्ष यान मिशन विन्यास 37.4 डिग्री के झुकाव के साथ 475 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की निम्न कक्षा (एलईओ) में संचालित होगा।

SSLV की ये हैं विशेषताएं…

एसएसएलवी तीन चरणों वाला प्रक्षेपण यान है। जिसे तीन ठोस प्रणोदन चरणों और एक टर्मिनल चरण के रूप में तरल प्रणोदन आधारित वेलोसिटी ट्रिमिंग मॉड्यूल (वीटीएम) के साथ निर्मित किया गया है। एसएसएलवी का व्यास दो मीटर और लंबाई 34 मीटर है और यह 120 टन वजन उठा सकता है। एसडीएससी और एसएचएआर से 500 किलोमीटर की प्लेनर कक्षा में 500 किलोग्राम के उपग्रह को ले जाने में सक्षम है। एसएसएलवी की प्रमुख विशेषताएं कम लागत, कम टर्न-अराउंड समय, कई उपग्रहों को समायोजित करने में लचीलापन, मांग पर प्रक्षेपण व्यवहार्यता तथा न्यूनतम प्रक्षेपण बुनियादी ढांचे की आवश्यकताओं को पूरा करना है।

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