नील ने कहा है कि दुनियाभर के 150 से ज्यादा देशों को निशाना बनाने वाले ‘वानाक्राई’ फिरौती वायरस की कोडिंग का इस्तेमाल लैजरस ग्रुप द्वारा इससे पहले किए गए हमलों में भी हुआ है। एक वेबसाइट पर प्रसारित रिपोर्ट में कहा गया है कि मेहता ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय से स्नातक शिक्षा प्राप्त हैं और इससे पहले दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनी आईबीएम की इंटरनेट सिक्योरिटी सिस्टम्स में काम कर चुके हैं। नील ने ट्विटर पर एक मालवेयर के ‘कोड्स’ पोस्ट किए हैं, जो फिरौती वायरस ‘वानाक्राई’ और लैजरस ग्रुप के मालवेयर के बीच संबंध का संकेत देता है।
अग्रणी एंटी-वायरस कंपनी ‘कास्पर्स्की लैब’ (दक्षिण एशिया) के प्रबंध निदेशक अल्ताफ हाल्दे ने बताया, ‘हमारे शोधकर्ताओं ने इन सूचनाओं का विश्लेषण किया और पुष्टि की है कि भारतीय मूल के शोधकर्ता द्वारा रैनसमवेयर ‘वानाक्राई’ और लैजरस ग्रुप के मालवेयर के बीच कोडों में समानता पाई गई है।’ कास्पर्स्की लैब ने बताया, ‘नील मेहता की खोज इस नए मालवेयर ‘वानाक्राई’ के सामने आने के बाद सबसे अहम संकेत है।’
साइबर अटैक की आशंका के चलते देश के कर्इ एटीएम बंद, हमले को लेकर जारी की गर्इ एडवाइजरी नील ने 2014 में एक मालवेयर ‘हर्टब्लीड’ का पता लगाया था, जिसके हमले का शिकार लाखों कंप्यूटर, ऑनलाइन स्टोर और सोशल नेटवर्क साइटें हुई थीं और हैकरों ने सोशल मीडिया इस्तेमाल करने वालों की निजी सूचनाएं और वित्तीय जानकारियां हासिल कर ली थीं। नील के अनुसार, लैजरस ग्रुप के हैकर चीन में सक्रिय हैं, जो 2014 में सोनी पिक्चर्स को हैक करने और 2016 में बांग्लादेश का एक बैंक हैक करने में संलिप्त थे।
दुनिया के सबसे बड़े साइबर हमले से बचाव के लिए अपनाएं ये तरीके, एेसे पता लगेगा आप हो गए हैं शिकार कास्पर्स्की लैब ने हालांकि यह भी कहा है कि अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले वानाक्राई फिरौती वायरस के पिछले संस्करणों से जुड़ी अभी ढेरों जानकारियां चाहिए होंगी। कास्पर्स्की ने बताया, ‘हमारा मानना है कि दुनिया के दूसरे हिस्सों के शोधकर्ता इन समानता की जांच करें और ‘वानाक्राई’ से जुड़े अधिक से अधिक तथ्य हासिल करने की कोशिश करें।’
ब्रिटेन, अमरीका, रूस सहित दुनिया के कर्इ देशों में साइबर अटैक, कर्इ जगह बंद पड़े कंप्यूटर सोनी पिक्चर्स हैक मामले में हालांकि उत्तर कोरिया ने अपनी संलिप्तता कभी स्वीकार नहीं की। वहीं सिक्योरिटी शोधकर्ता और अमेरिकी सरकार इन साइबर हमलों में उत्तर कोरिया का हाथ होने का दावा करती रही हैं, हालांकि उत्तर कोरिया का ध्वज जानबूझकर इस्तेमाल करने की संभावना से भी इनकार नहीं किया। कास्पर्स्की ने कहा कि ऐसा भी हो सकता है कि लैजरस ग्रुप ने उत्तर कोरिया के दिशा-निर्देश पर नहीं बल्कि खुद स्वतंत्र तौर पर यह साइबर हमला किया हो।