जजों ने कहा कि जमीन-जायदाद से जुड़े उत्तराधिकार के 1956 से पहले के मामलों में भी बेटियों को बेटों के बराबर ही अधिकार होगा। अगर किसी जमीन-जायदाद के मालिक की मृत्यु वसीयत लिखने से पहले हो गई है तो उसकी स्वअर्जित-संपत्ति उत्तराधिकार के सिद्धांत के तहत उसकी संतानों को मिलेगी। ऐसे में वो बेटा हो या फिर बेटी दोनों के समान अधिकार होंगे।
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शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसी संपत्ति उत्तरजीविता के नियम के मुताबिक मरने वाले के भाईयों या अन्य सगे-संबंधियों को हस्तांतरित नहीं की जा सकेगी। फिर चाहे वह व्यक्ति अपने जीवनकाल में संयुक्त परिवार का सदस्य ही क्यों न रहा हो।
बगैर वसीयत के महिला की मौत पर भी फैसला
सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी साफ किया कि किसी हिंदू महिला की बगैर वसीयत किए मृत्यु हो जाती है तो, जो संपत्ति उसे अपने पिता या माता से विरासत में मिली है, वह उसके पिता के वारिसों को मिलेगी। यानी महिला के सगे भाई-बहनों व अन्य उस संपत्ति का बंटवारा होगा।
इसके अलावा जो संपत्ति उसे अपने पति या ससुर से मिली है, वह उसके पति के वारिसों यानी खुद के बच्चों व अन्य को मिलेगी।