प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा, ‘भारत को अमीर देश बनाने के लिए हर देशवासी को अमीर बनाना पड़ेगा और मैं हर गरीब को अमीर बनाना चाहता हूँ। और ये तभी संभव है जब गरीब बच्चे को बेहतर शिक्षा मिलेगा। इसके लिए सरकारी स्कूल को शानदार करना पड़ेगा जिससे किसान का बच्चा हो या रिक्शा चालक का बच्चा हो या पिछड़े तबके का बच्चा हो वो अच्छी शिक्षा के बाद एक बेहतर नौकरी पाएगा और उसके घर में गरीबी दूर होगी।’
केजरीवाल ने सरकारी स्कूलों को दिल्ली के जैसे शानदार बनने के लिए चार महत्वपूर्ण बिंदुओं का उल्लेख किया।उन्होंने कहा कि हमें देश को अमीर बनाने के लिए चार काम करना पड़ेगा:
पहला- देश के अंदर जितने सरकारी स्कूल हैं उन्हें सुविधाओं से लैस करें और शानदार बनाएं।
दूसरा – ढेर सारे नए सरकारी स्कूल बनाए जाएं
तीसरा- जितने कच्चे टीचर को पक्का करना होगा और बहुत बड़े स्तर पर टीचरों की भर्ती करनी पड़ेगी।
चौथा- हर टीचर को शानदार ट्रेनिंग करानी पड़ेगी और इसके लिए उन्हें विदेश भेजने की आवश्यकता पड़े तो उन्हें भेजा जाएगा।
केजरीवाल ने कहा कि, “ये काम पाँच साल में हो जाएगा और हमने ऐसा किया है। मैं केंद्र सरकार को कहूँगा कि राजनीति को साइड रख कर हमारी सर्विस इस्तेमाल करिए न हम भी इसी देश के हैं। हम सब मिलकर सभी सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाएंगे।”
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केजरीवाल ने कहा,”इसको Freebies कहना बंद करें अच्छी शिक्षा देना या स्वास्थ्य सुविधा देना कैसे गलत है।
एक टाइम की रोटी भी कम करनी पड़े तो 130 करोड़ लोग तैयार हैं इसलिए इसे Freebies कहना बंद करें।”
केजरीवाल ने कहा, “देश में जनता को मुफ़्त इलाज मिले। आज सरकारी सिस्टम को दुरुस्त करना है लेकिन पूर्व की सरकारें हो या आज कि जानबूझकर सरकारी स्कूलों को कबाड़ी करने में लगे हैं। जानबूझकर सरकारी अस्पतालों को कबाड़ा किया जा रहा है ताकि प्राइवेट स्कूल में बच्चों को भेजना चालू करदें और प्राइवेट अस्पताल में जाएं।
केजरीवाल ने कहा कि ‘इन्श्योरेन्स स्कीम निकाली है और कार्ड दे रही है 5 लाख तक में इलाज कराओ। कोई गरीब इतना पैसा कहाँ से लाएगा और कार्ड लेकर क्या करेगा जब उसे शी इलाज न मिले। दिल्ली के अंदर हर व्यक्ति को सुरक्षा चक्र मिल सकता है तो ये पूरे देश में भी हो सकता है। सरकार के पास पैसा है और सब हो सकता है।’
उन्होंने आगे जानकारी दी कि ‘दिल्ली में हमने देखा एक बार अस्पताल बना लो और सभी मशीन खरीद लो और फिर 2 हजार का खर्चा आता है एक व्यक्ति का औसतन, स्पष्ट है ढाई लकह करोड़ में पूरे देश का इलाज हो जाएगा। सोचकर देखो कितने में सभी मरीजों का इलाज हो सके। डेनमार्क, स्वीडन और अमेरिका जैसे देशों में इलाज मुफ़्त होता है तो ये भारत में भी हो सकता है।’